Jai Shri Krishna ji 🙏 🙏🙏
🙏 " मयूर पंख " 🙏 🌹🌹🌹🌹🌹 "वनवास के दौरान माता सीताजी को प्यास लगी, तभी श्रीरामजी ने चारों ओर देखा, तो उनको दूर-दूर तक जंगल ही जंगल दिख रहा था.! कुदरत से प्रार्थना की ~ हे वन देवता ! आसपास जहाँ कहीं पानी हो,वहाँ जाने का मार्ग कृपा कर सुझाईये.! तभी वहाँ एक मयूर ने आकर श्री राम जी से कहा कि आगे थोड़ी दूर पर एक जलाशय है. चलिए मैं आपका मार्ग पथ प्रदर्शक बनता हूँ, किंतु मार्ग में हमारी भूल चूक होने की संभावना है.! श्रीरामजी ने पूछा ~ वह क्यों .....? तब मयूर ने उत्तर दिया कि ~मैं उड़ता हुआ जाऊंगा और आप चलते हुए आएंगे, इसलिए मार्ग में मैं अपना एक-एक पंख बिखेरता हुआ जाऊंगा. उस के सहारे आप जलाशय तक पहुँच ही जाओगे.! यहां पर एक बात स्पष्ट करनी है कि मयूर के पंख, एक विशेष समय एवं एक विशेष ऋतु में ही बिखरते हैं. अगर वह अपनी इच्छा विरुद्ध पंखों को बिखेरेगा, तो उसकी मृत्यु हो जाती है.? और वही हुआ. अंत में जब मयूर अपनी अंतिम सांस ले रहा होता है,तब उसने मन में ही कहा कि वह कितना भाग्यशाली है, कि जो जगत की प्यास बुझाते हैं, ऐसे प्रभु की प्यास बुझाने का उसे सौभाग्य प्राप्त हुआ. मेरा जीवन धन्य हो गया.! अब मेरी कोई भी इच्छा शेष नहीं रही.! तभी भगवान श्रीराम ने मयूर से कहा कि मेरे लिए तुमने जो मयूर पंख बिखेरकर, अपने जीवन का त्यागकर मुझ पर जो ऋणानुबंध चढ़ाया है,मैं उस ऋण को अगले जन्म में जरूर चुकाऊंगा ....? तुम्हारे पंख अपने सिर पर धारण करके :-- तत्पश्चात अगले जन्म में श्री कृष्ण अवतार में उन्होंने अपने माथे (मुकुट) पर मयूर पंख को धारण कर वचन अनुसार उस मयूर का ऋण उतारा था.l तात्पर्य यही है कि :--- अगर भगवान को ऋण उतारने के लिए पुनः जन्म लेना पड़ता है, तो हम तो मानव हैं. न जाने हम कितने ही ऋणानुबंध से बंधे हैं.उसे उतारने के लिए हमें तो कई जन्म भी कम पड़ जाएंगे.! अर्थात ~~ जो भी भला हम कर सकते हैं,इसी जन्म में हमें करना है.? 🙏🙏🙏🙏🙏 Jai Shri Krishna ji 🙏🙏🙏 Shubh Ratri Vandan ji 🙏🙏🙏
Jai Shri Radhe Radhe ji 🙏🙏🙏
सेये सीताराम नहिं भजे न शंकर गौरि। जनम गँवायो बादिहीँ परत पराई पौरि।। हे मन ! तूने मनुष्य योनि में भी जन्म लेकर के परम ब्रह्म सीताराम जी का सेवा नहीं किया। जगत के माता पिता - गौरी शंकर जी का भजन भी नहीं किया तो फिर पराए दरवाजा पर पड़े पड़े बेकार में जीवन बर्बाद कर दिया। रे मूर्ख मन! सीताराम जी के चरणारविंद में अनुरक्त रहकर, भगवान भूतभावन , मनोज नसावन गौरी पति शिव जी का भजन कर, .क्योंकि तेरा कल्याण सीताराम कृपा और शिव जी से ही है.....। 🙏🙏🙏 सीताराम जय सीताराम सीताराम जय सीताराम
Jai Shri Radhe Radhe 🙏🙏🙏 Ishwar aapko parivar sahit sukhi swasth prashn rakhe is mangal kamna ke sath Jai Shri Radhe Radhe🙏🙏🙏 Jai Mata Di 🙏🙏🙏
Jai Shri Krishna ji 🙏🙏🙏
🙏🙏परमात्मा से संपर्क 🙏🙏 🌸🌸🌸🌹🌹🌹🌸🌸🌸 🌷एक पुजारी जी और एक बाल काटने वाला नाई दोनों मित्र थे | नाई हमेशा पुजारी से कहता रहता था कि, ईश्वर हमेशा ऐसा क्यों करता है, वैसा क्यों करता है...?? यहाँ बाढ़ आ गई, वहाँ सूखा हो गया, यहाँ एक्सीडेंट हुआ, यहाँ भुखमरी चल रही है, नौकरी नहीं मिल रहीं इत्यादि... ऐसी बहुत सारी परेशानियां लोगों को बताता रहता है | 🌷तो पुजारी जी ने उसे एक इंसान से मिलाया | जो भिखारी था, बाल बहुत बढ़े थे, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई थी और उस नाई को कहा, " देखो उस इंसान को, जिसके बाल बढ़े हुए हैं, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई है | तुम्हारे होतें हुए ऐसा क्यों है...? 🌹नाई बोला, अरे उसने मेरे साथ संपर्क ही नहीं किया | पुजारी ने भी बताया यही तो बात है | जो लोग ईश्वर से संपर्क करते हैं, उनका दुःख खतम हो जाता है | लोग संपर्क ही नहीं करतें और कहतें हैं, दुःख क्यों है....?? जो संपर्क करेगा वो दुःख से मुक्त हो जाएगा |सिर्फ ईश्वर को पुरा !! 🌹🌹 " श्रद्धा और भाव से तो पुकारे " !🌹🌹 धन्यवाद🙏🙏🙏🙏 Jai Shri Radhe Radhe Shubh Sandhya Vandan 💐 हरिःशरणं
🥀🥀 Jai Gurudev 🥀🥀 🌱🌱🌱🌷🌷🌱🌱🌱 ‼ऋषि चिंतन‼ 🌹🌹 मन को सुधारिए 🌹🌹 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱 🙏पवित्र विचारों से "मन" पर वांछित संस्कार पड़ते हैं, उसका परिमार्जन होता है और उसमें उर्ध्वगामी होने की रुचि पुनः उत्पन्न होती है । 🙏मन" मनुष्य के मनोरथों को पूरा करने वाला सेवक होता है । 🙏मनुष्य जिस प्रकार की इच्छा करता है, "मन"* तुरंत उसके अनुकूल संचालित हो उठता है और उसी प्रकार की परिस्थितियाँ सृजन करने लगता है । 🙏"मन" आपका सबसे "विश्वस्त मित्र" और "हितकारी बंधु" होता है । 🙏यह सही है कि बुरे विचारों का त्याग *"श्रमसाध्य"* अवश्य है, किंतु "असाध्य"कदापि नहीं । 🙏 "विकृतियों" के अनुपात में ही "सत्प्रयासों" की आवश्यकता है । 🙏बीसों साल की पाली हुई विकृतियों को कोई एक दो महीनों में ही दूर कर लेना चाहता है, तो वह गलती करता है । विकृतियाँ जितनी पुरानी होगी, उतने ही शीघ्र एवं दृढ़ अभ्यास की आवश्यकता होगी । 🙏 "अभ्यास" में लगे रहिए, एक-दो साल ही नहीं, जीवन के अंतिम क्षण तक लगे रहिए । मानसिक विकृतियों से हार मानकर बैठे रहने वाला व्यक्ति जीवन में किसी प्रकार की सफलता प्राप्त नहीं कर सकता । 🙏"मन" को परिमार्जित करने, उसे अपने अनुकूल बनाने में केवल "विचारशक्ति" ही नहीं, अपनी "कर्मशक्ति" भी लगाइए ।जिस कल्याणकारी विचार को बनाएँ, उसे क्रिया रूप में भी परिणत कीजिए ,! 🌹🌹 पं.श्रीराम शर्मा आचार्य🌹🌹 Jai Gurudev 🙏🙏🙏 Jai Shri Radhe Radhe 🙏🙏🙏