*🍇☘️प्रकृति के बहुमूल्य उपहारो मे से एक: 🍇अंगूर*
☘️🍇अंगूर *शीतल, वात-पित्तनाशक, बलवर्धक*, रुचिकर, स्वर को उत्तम करनेवाला एवं *आँखों के लिए हितकर है।*
☘️🍇इसके सेवन से शरीर में *रक्त एवं मांस की वृद्धि होकर वजन बढ़ने में सहायता मिलती है।* यह प्यास की अधिकता, पेट की जलन,मुख का स्वाद कड़वा हो जाना, खाँसी, पेशाब की जलन एवं रुकावट, कब्ज, खून की कमी, पीलिया, सामान्य कमजोरी आदि रोगों में लाभकारी है।
*☘️🍇अंगूर आँतों, गुर्दो (kidneys), यकृत (liver) व आमाशय की कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं।* शरीर में से विरोधी कणों को बाहर निकालते हैं, आँखों को शीतलता देते हैं और गर्मी की बीमारियों को मिटाते हैं।
☘️🍇अंगूर रोगियों के लिए एक अच्छा पथ्य होने के साथ-साथ स्वस्थ मनुष्य को शक्ति और पुष्टि प्रदान करता है। *कैंसर, टी.बी., पेट व आँतों की सूजन एवं घाव, बच्चों का सूखा रोग, आंत्रपुच्छ शोथ (appendicitis) तथा हृदय के रोगियों के लिए यह शक्तिदायक पथ्य है।*
*☘️🍇१००-२०० ग्राम अंगूर खाने से शरीर में शक्ति का शीघ्र ही संचार होता है। लम्बी बीमारी के बाद शरीर में आयी कमजोरी को दूर करने में यह रामबाण औषधि का काम करता है।* बच्चों, वृद्धों व दुर्बल लोगों के लिए यह अनुपम आहार है।"
*🤵🏻आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार* अंगूर में प्रचुर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट एवं पोलिफिनोल पाये जाते हैं, जिससे यह विभिन्न प्रकार के कैंसर, उच्च रक्तदाब (High B.P.), हृदय की रक्तवाहिनियों का अवरोध (Blockage) आदि विभिन्न प्रकारके हृदयरोगों से रक्षा करने में सहायक है।
*🍇🫐अंगूर के गुणकारी प्रयोग:-*⤵️
🫐 *जिसको कमजोरी मिटानी है वह भोजन के आधा घंटे बाद २५-३० ग्राम अंगूर का रस पिये। गर्भिणी को, बच्चों को भी पिलाओ ।* अंगूर नहीं मिलें तो किशमिश, द्राक्ष आदि लें। शरीर पुष्ट हो जायेगा।
*🫐जरा-जरा बात में क्रोधी होनेवाले लोगों को अंगूर प्रचुर मात्रा में खाने चाहिए।*
*🫐बच्चों को दाँत निकलते समय दस्त होते हैं, अजीर्ण और कब्जियत होती है, पीड़ा होती है। उन दिनों में बच्चों को १-२ चम्मच अंगूर का रस सुबह और शाम दो तो फिर उन्हें ठीक-ठीक भूख लगने लगती है।*
*🫐जिनको भूख नहीं लगती उनके लिए भी अंगूर का भोजन अथवा अंगूर का नाश्ता हितकारी है ।* थोड़े दिन अंगूर का ही नाश्ता करें तो रक्ताल्पता ठीक हो जायेगी, रक्त बन जायेगा, हीमोग्लोबिन ठीक हो जायेगा।
*🍇अंगूर के अन्य औषधीय प्रयोग:-*
*🍁 रक्तपित्त :* प्रतिदिन १००-१५० ग्राम मीठे अंगूर खाने से नाक, मुँह और मूत्रमार्ग से निकलनेवाले खून को रोकने में सहायता मिलती है।
*🔰पेशाब की रुकावट :* पेशाब थोड़ा-थोड़ा तथा रुक-रुककर आये अथवा बार-बार जाने की इच्छा हो तो अंगूर खाना बहुत ही लाभदायक रहता है इससे मूत्र खुलकर आता है और मूत्राशय की कमजोरी दूर हो जाती है।
🔰अंगूर के विकल्प के रूप में किशमिश, कालीद्राक्ष एवं द्राक्षावलेह का उपयोग किया जा सकता है। द्राक्षावलेह अम्लपित्त (एसिडिटी), कब्ज, खून की कमी, चक्कर आना, पीलिया, कमजोरी, पेशाब की जलन, भूख की कमी, नाक, मुँह एवं मूत्रमार्ग से खून निकलना आदि रोगों में लाभदायी है।
_*(किशमिश, काली द्राक्ष एवं द्राक्षावलेह आश्रमों व समितियों के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध हैं।)*_
*🚫सावधानी : अंगूर अच्छी तरह धो के खाने चाहिए। रोगियों को अंगूर अल्प मात्रा में देने चाहिए क्योंकि ये अतिसार (दस्त) की उत्पत्ति भी करते हैं ।*
*🫐कच्चे एवं खट्टे अंगूर शीतल और रुक्ष होते हैं। इनके सेवन से आमाशय और प्लीहा में हानि पहुँचती है, वायुप्रकोप होता है।*
जय श्री राधे राधे🙏🙏
शुभ संध्या🚩🚩🚩