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Narayan Tiwari
धनुषाकार shani धाम,बछुआ गांव,
narayan tiwari
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मैं शुभ-दोपहर ,शुभ -संध्या,शुभ -रात्रि जैसी पोस्ट का समर्थन नहीं करता हूं! ऐसे लिखें हुए शब्दों का मैं मंदिर पर पुरजोर विरोध कर रहा हूं! मंदिर में मेरा 20-घंटे का डिजिटल उपवास रहता हैं||जय मांई की||🚩
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Narayan Tiwari
Feb 15, 2019
ऋषि भारद्वाज एवं प्रयाग की मान्यता! ********************************* मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम वन जाते हुए भारद्वाज आश्रम में आए थे। भारद्वाज मुनि ने राम का बड़े प्रेम से स्वागत किया था और उन्हें चित्रकूट जाने का मार्ग बताया था। राम को चित्रकूट से वापस बुलाने के लिए भरत प्रयाग आए, तो उन्होंने ऋषि भारद्वाज के दर्शन किए। ऋषि ने अपने आश्रम के शांत वातावरण में भरत और उनके आए अतिथियों का स्वागत किया था। लंका विजय करके अयोध्या वापस लौटते समय श्री राम ने भारद्वाज ऋषि के दर्शन किए। इस आश्रम में भारद्वाज ऋषि ने एक शिवलिंग को स्थापित किया था। यह शिव विग्रह आज भी पूजा जाता है। इन्हें भारद्वाजेश्वर शिव कहा जाता है। ।।हर हर महादेव।।🚩 ।। हर हर गंगे।।🚩 तीर्थराज प्रयाग की जय।।🚩
शिव मंदिर
महाकुंभ जानकारी
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Narayan Tiwari
Feb 14, 2019
श्री अक्षयवट को साक्षात् भगवान विष्णु का विग्रह मांना जाता हैं, जानिएं कथा? ********************************** श्री अक्षयवट संगम प्रयागराज के निकट सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यह बरगद का बहुत पुराना वृक्ष है, जो प्रलयकाल में भी नष्ट नहीं होता। पर्याप्त सुरक्षा के बीच संगम के निकट किले में श्री अक्षयवट हैं।इस तरह के तीन और वृक्ष हैं- मथुरा-वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट जिसे बौधवट भी कहा जाता है और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट। श्री अक्षयवट कितने हजार वर्ष पुराना है , यह कहा नहीं जा सकता हैं। मगर ऐसा माना जाता है कि प्रलय काल में भगवान विष्णु इसके एक पत्ते पर बाल मुकंद रूप में अपना अंगूठा चूसते हुए कमलवत शयन करते हैं। प्रभु श्री राम अक्षयवट के नीचे विश्राम किए थें! अक्षय वट की कथा :🚩 पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने यहां पर एक बहुत बड़ा यज्ञ किया था। इस यज्ञ में वह स्वयं पुरोहित, भगवान विष्णु यजमान एवं भगवान शिव उस यज्ञ के देवता बने थे। तब अंत में तीनों देवताओं ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी के पाप बोझ को हल्का करने के लिए एक 'वृक्ष' उत्पन्न किया। यह एक बरगद का वृक्ष था जिसे आज अक्षयवट के नाम से जाना जाता है। यह आज भी विद्यमान है। श्री अक्षयवटाय नमः।।🚩 श्री अक्षयवट महाराज की जय।। ।। जय गंगा मांई।।🚩
विष्णु
महाकुंभ जानकारी
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Narayan Tiwari
Feb 13, 2019
जानिएं प्रयागराज महात्म्य क्या हैं.?🚩 ******************************
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Narayan Tiwari
Feb 12, 2019
भगवान वेणी-माधव की प्रार्थना से मां सरस्वती प्रयागराज में विद्यमान हैं!🚩 ********************************* सरस्वती कूप का महत्व:--🚩 ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान ब्रह्मा जी सरस्वती जी पर मोहित हो गए थे। इसके बाद मां सरस्वती धरती में समा गई थीं। इसके बाद प्रयागराज के नगर देवता भगवान वेणी माधव ने मां सरस्वती की आराधना की। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर ही मां सरस्वती ने इस कूप से निकलकर वेणी माधव को दर्शन दिए। बाद में वेणी माधव ने मां सरस्वती से प्रार्थना की कि गंगा और यमुना नदियां श्रद्धा और भक्ति के रूप में विद्यमान हैं, आप भी यहां पर ज्ञान की देवी के रूप में सदा के लिए विराजमान हों। तब से यहां प्रयागराज में संरस्वती नदी के रूप में मां अदृश्य रूप में विराजमान हैं। ऊं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।।🚩 श्री वेणी-माधव की जय।।🚩 प्रयागराज तीर्थ की जय।।🚩 ।। जय गंगा मांई।।🚩
पौराणिक कथा
महाकुंभ जानकारी
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