जय श्री गजानन 🙏 🚩 मां दुर्गा के प्रभावशाली मंत्र 1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4. नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ (इस मंत्र का जाप ज्यादा से ज्यादा बार अवश्य करें) जय श्री महाकाल जी जय माता महाकाली की जय हो भोलेनाथ जय श्री माता पार्वती की 💐 👏 शुभ शुक्रवार की शुभ रात्री वंदन जय माता की 👏 सबका मंगल हो जय माता दुर्गा की जय हो 🍲 अन्न पूर्णा माता की जय श्री लक्ष्मी माता की जय श्री सरस्वती माता की जय श्री कुश्मांडा माता की 🙏 👣 💐 👏 🐚 🌹 नमस्कार 🙏 🚩 आप सभी भारतवासी मित्रों को मेरा नमस्कार 🙏चैत्र नवरात्री की हार्दिक बधाई और शुभकामनाए 🚩 🐚 🌙✨🎪👪😃☝🌕💐🌹🌿👣👏 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
श्री गणेशाय नम: ॐ गणपतेय वर वरदन सर्वजनं में वशमानय ठ: ठ: ॐ श्रीगणेशाय नम: ॐ वक्रतुण्डाय नम: ॐ गं गणपतये नम: ह्रीं श्रीं क्लीं गौं वरदमूर्तये नम: ॐ ह्री श्री क्लीं गों गं महान्गणाधिपतये नम: ग्लौं क्लीं गं ह्रीं महागणपतये स्वाहा ॐ नमो भगवते गजाननाय ॐ महाकर्णाय विद्यहं वक्रतुण्डाय धीमिह तन्नो दन्ति: प्रयोदयात्। ॐ गं गणपतये नमः 👏 🌿 हर हर महादेव जय श्री महाकाली जय श्री महाकाल जी ॐ नमः शिवाय ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे विनायक चतुर्थी की हार्दिक शुभकामना ये नमस्कार 🙏 शुभ संध्या वंदन 🌄🌙🌿🎪🌹👣🌻👏🚩
ॐ श्रीं ॐ ॐ ह्रीं ॐ महालक्ष्मये नम:। जय श्री कृष्ण राधे राधे 🙏 शुभ प्रभात 🌅वंदन 👣 💐 👏 🚩 1. विष्णु गायत्री महामंत्र: ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 2. पंचरूप मंत्र: ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान, यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते। 3. विष्णु रूपं पूजन मंत्र: शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म। 4. विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र: श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ऐसे करें मंत्रों का जाप इस दिन स्नान के बाद पीले कपड़े पहनें। फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके बाद उनको खीर या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही पीले रंग के फूल अर्पित करें। अब पूजा वाले आसन पर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। फिर मंत्रों का जाप करें। ॐ गं गणपतये ॐ नमः शिवाय ॐ नमो नारायणाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जय श्री राम जय श्री कृष्ण जय श्री हरी ॐ ॐ श्रीं ॐ ॐ ह्रीं ॐ महालक्ष्मये नम:। 🙏 शुभ प्रभात 🌅वंदन 👣 💐 👏 🐚🌹🚩💫✨🎉🎊🎈 🌷 🎪 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹आप सभी भारतवासी माता बहनों मित्रों को मेरा सुंदर सुबह नमस्कार 🙏 🚩
मां दुर्गा के प्रभावशाली मंत्र 1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। 2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। 4. नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ (इस मंत्र का जाप ज्यादा से ज्यादा बार अवश्य करें) जय श्री महाकाल जी जय माता महाकाली की जय हो भोलेनाथ जय श्री माता पार्वती की 💐 👏 शुभ गुरुवार की शुभ रात्री वंदन जय माता की 👏 सबका मंगल हो जय माता दुर्गा की जय हो 🍲 अन्न पूर्णा माता की जय श्री लक्ष्मी माता की जय श्री सरस्वती माता की जय श्री चंद्रघंटा माता की 🙏 👣 💐 👏 🐚 🌹 नमस्कार 🙏 🚩 आप सभी भारतवासी मित्रों को मेरा नमस्कार 🙏 🚩 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷⛅🌹✨👪💐🌷🎈🌹💐🐚👏🚩🐚 🌹 🌻✨🎉🌷🌴
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष मत्स्य जयंती चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार, पुष्पभद्रा नदी के तट पर भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य के रूप में लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि इस सृष्टि को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य का अवतार लिया था। उन्होंने एक विशाल नाव का निर्माण किया था और इसमें इस पृथ्वी पर मौजूद सभी जनजातियों को जगह दे कर सबकी जान बचाई थी। कहा जाता है कि जो भक्त मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उस इंसान को अपने किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है। मत्स्य जयंती 2021 मत्स्य जयंती की कथा द्रविड़ देश के राजर्षि सत्यव्रत एक दिन कृतमाला नदी में स्नान कर रहे थे। जलि में जल लेने पर उनके हाथ में एक छोटी सी मछली आ गई। राजा ने मछली को पुन: नदी के जल में छोड़ दिया। जैसे ही उन्होंने मछली को जल में पुनः छोड़ा तो उसने कहा कि हे राजन नदी के बड़े बड़े जीव छोटे जीवों को खा जाते हैं। मुझे भी कोई मारकर खा जाएगा। कृपया मेरे प्राणों की रक्षा करें। यह बात सुनकर मछली को अपने कमंडल में डाल दिया, लेकिन एक ही रात्रि में मछली का शरीर इतना बड़ गया कि कमंडल छोटा पड़ने लगा। तब राजा ने मछली को निकालकर मटके में डाल दिया। वहां भी मछली एक रात में बड़ी हो गई। तब राजा ने मछली को निकालकर अपने सरोवर में डाल दिया। अब वह निश्चिंत थे कि सरोवर में वह सुविधापूर्ण तरीके से रहेगी, लेकिन एक ही रात में मछली के लिए सवरोवर भी छोटा पड़ने लगा। तब राजा समझ गए कि यह कोई साधारण मछली नहीं है। उन्होंने उस मछली के समक्ष हाथ जोड़कर कहा कि मैं जान गया हूं कि निश्चय ही आप कोई महान आत्मा हैं। यदि यह बात सत्य है, तो कृपा करके बताइए कि आपने मत्स्य का रूप क्यों धारण किया है? तब राजर्षि सत्यव्रत के समक्ष भगवान विष्णु अपने असली स्वरूप में प्रकट हुए और कहा कि हे राजन। हयग्रीव नामक दैत्य ने वेदों को चुरा लिया है। इस कारण जगत में चारों ओर अज्ञान और अधर्म का अंधकार फैला गया है। मैंने हयग्रीव का अंत करने के लिए ही मत्स्य का रूप धारण किया है। आज से सातवें दिन भूमि जल प्रलय में डूब जाएगी। तब तक तुम एक नौका बनवा लो और समस्त प्राणियों के सूक्ष्म शरीर तथा सब प्रकार के बीज लेकर सप्तर्षियों के साथ उस नौका पर चढ़ जाना। प्रचंड आंधी के कारण जब नाव डगमगाने लगेगी, तब मैं मत्स्य रूप में तुम सबको बचाऊंगा। तुम लोग नाव को मेरे सींग से बांध देना। प्रलय के अंत तक मैं तुम्हारी नाव खींचता रहूंगा। उस समय भगवान मत्स्य ने नौका को हिमालय की चोटी से बांध दिया। उसे चोटी को नौकाबंध कहा जाता है। प्रलय का प्रकोप शांत होने पर भगवान ने हयग्रीव का वध किया और वेदों को पुनः ब्रह्माजी को सौंप दिया। भगवान ने प्रलय समाप्त होने पर राजा सत्यव्रत को वेद का ज्ञान वापस दिया। राजा सत्यव्रत ज्ञान-विज्ञान से युक्त हो वैवस्वत मनु कहलाए। उक्त नौका में जो बच गए थे, उन्हीं से संसार में पुनः जीवन चला। मत्स्य जयंती का महत्व जो भक्त मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु के पहले अवतार मत्स्य की पूजा करता है उसे विशेष लाभ मिलता है। मत्स्य जयंती पर मत्स्य पुराण को सुनने और पढ़ने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन जो इंसान मछलियों को आटे की गोली खिलाता है उसे पुण्य मिलता है। मत्स्य जयंती व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है तथा मछलियों को नदी या समुद्र में छोड़ने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तथा अपनी कृपा बरसाते हैं। ॐ नमो नारायण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जय श्री कृष्ण राधे राधे नमस्कार 🙏 शुभ रात्री वंदन 👣 🌹 👏 जय श्री राम जय श्री कृष्ण जय श्री हरी ॐ 🙏 🚩 आप का हर पल मस्त रहे स्वस्त रहे नमस्कार 🙏
पैठण हे तेथील संत एकनाथांची समाधी, जायकवाडी धरण, ज्ञानेश्वर उद्यान तसेच पैठणी साडी यांच्यासाठी प्रसिद्ध आहे. औरंगाबादेपासून ५० किलोमीटर अंतरावर गोदावरीकाठी ते वसले आहे. हे गाव प्राचीन कालापासून 'दक्षिण काशी' म्हणून ओळखले जाते. पैठण गावात जे नाथांचं मंदिर आहे, त्यांच्या देवघरात सर्वात वर तुळशीचं माळ घातलेली पांडुरंगाची मूर्ती आहे ती सदैव फुल वस्त्र अलंकाराने झाकलेली असते त्यामुळे मूर्तीचे फक्त मुखकमल दर्शन होत असते. वास्तविक या मूर्तीचे एक वेगळे वैशिष्ट्य आहे. आपण सहसा पांडुरंगाची मूर्ती दोन्ही हात कमरेवर ठेवून उभा असलेला पांडुरंग पाहतो पण या मूर्तीत पांडुरंगाचा डावा हात कमरेवर आहे तर उजवा हात कमरेच्या खाली आहे पण समोरच्या बाजूला उघडणारा तळवा किंवा तळहात दिसतो. म्हणून त्याला" विजयी पांडुरंग" असे म्हणतात. या विजयी पांडुरंग कसा याची एक सुंदर आख्यायिका आहे, हा भगवंत नाथांना प्रासादिक रुपाने मिळालेला आहे. ही मूर्ती दिडफुट उंचीची आणि अडीच किलो वजनाची पंचधातूंपासून बनवलेली मूर्ती आहे. कर्नाटकातील राजा रामदेवराय हा पंढरपूरच्या पांडुरंगाचा उपासक होता त्यामुळं त्यांनी मंदिर बांधलं आणि सोनारकरवी पंचधातूंची मूर्ती बनवून घेतली आणि त्याची प्राणप्रतिष्ठा करणार तोच पांडुरंग दृष्टांत देऊन त्यांना म्हणाला "माझी ही मूर्ती तू इथे स्थापलीस तर मी इथे राहणार नाही आणि माझ्या इच्छे विरुद्ध तू तसं केलंस तर तुझा निर्वंश होईल. "मग राजाने विचारले की या मूर्ती चे काय करू तेव्हा पांडुरंग म्हणाला की पैठणच्या नाथ महाराजांना नेऊन दे. त्यानंतर राजाने ती मूर्ती वाजत गाजत पैठणला आणली तेव्हा नाथ महाराज मंदिरात असलेल्या खांबाला टेकून प्रवचन सांगत होते. ते ज्या खांबाला टेकून पुराण सांगायचे. त्या खांबाला पुराण खांब असे म्हणतात. राजा रामदेवराय नाथांचे प्रवचन संपेपर्यंत थांबले आणि त्यांनी ही मूर्ती तुमच्याकडे कशी किंवा का आणली हे सर्व नाथांना सांगितले आणि त्यामुळे भगवंतांना तुमच्याकडे ठेवून घ्या असे सांगितले. त्यावर नाथांनी मूर्तीला नमस्कार केला आणि म्हणाले की तू राजाच्या घरी राहणारा आहेस माझ्याकडे तुझी रहायची इच्छा आहे पण राजा सारखे पंचपक्वान्न माझ्याकडे तुला मिळणार नाहीत तेव्हा या भगवंताच्या पायाखालच्या विटेवर अक्षरं उमटली "दास जेवू घाला न.. घाला" म्हणजे हे नाथ महाराज मी तुझ्याकडे दास म्हणून आलोय तू जेवायला दे अथवा न दे मी तुझ्याजवळ राहणार आहे. हे ही या मूर्तीच एक वैशिष्ट्य सांगता येते की विटेवर अजूनही ही उमटलेली अक्षरे आहेत. प्रत्यक्ष भगवंत घरी आले म्हणल्यावर पूर्वी पाहुणचार म्हणून कोणी बाहेरून आले की गुळ पाणी दिले जायचे पण प्रत्यक्ष भगवंत आलेत म्हणल्यावर त्यांनी आपल्या पत्नीला आवाज दिला त्यांचे नाव गिरीजाबाई होते त्यांचा पाहुणचार म्हणून बाईंनी चांदीच्या वाटीत लोणी आणि खडीसाखर आणलं नि नाथांच्या समोर धरलं. हे लोणी घेण्यासाठी म्हणून भगवंतांनी आपला उजवा हात कमरेवरचा काढून पुढे केला नि लोणी चाटले नंतर तो हात लोणचट म्हणजेच थोडा लोणी लागलेला असल्याने परत कमरेवर ठेवताना हात व्यवस्थित कमरेवर ठेवला नाही म्हणून त्या मूर्तीचा हात असा आहे आणि या मूर्तीच दुसरं वैशिष्ट्य असं आहे की आजही प्रत्येक एकादशीला अभिषेकासाठी मूर्ती खाली घेतली जाते तेव्हा संपूर्ण अभिषेकानंतर मूर्तीला पिढीसाखरेने स्वच्छ पुसलं जातं तेव्हा हाताला ही पुसलं जातं तेव्हा त्या हातावरून हात फिरवला तर आजही लोण्याचा चिकटपणा जाणवतो. एकनाथांची विठ्ठलभक्ती एवढी श्रेष्ठ होती की साक्षात पांढुरंग श्रीखंड्याच्या रूपाने पाण्याच्या कावडी एकनाथांच्या घरी आणत असत अशी श्रद्धा आहे. पाण्याचा तो हौदही या वाड्यात अजून आहे. याच भगवंतांनी नाथांच्या घरी कावडीने पाणी वाहीले. मूर्तीच्या खांद्यावर पाणी वाहिल्याचे घट्टे आजही दिसतात. अशा तीन वैशिष्ठ्याने नटलेली ही विजयी पांडुरंगाची मूर्ती आहे. जय श्री हरी विठ्ठल जय श्री संत एकनाथ महाराज 👑 👏 🚩 जय श्री राम जय श्री कृष्ण जय श्री हरी ॐ 🙏 शुभ रात्री वंदन जय श्री गुरुदेव 👣 🌹 👏 जय श्री हरी विठ्ठल रुक्मिणी माता की 💐 👏 🐚 🚩
कल्की अवतार कब लेंगे भगवान श्री विष्णू भारत देश अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है, वही हिन्दू धर्म ग्रंथों में इस बात का वर्णन प्राप्त होता है कि जब-जब इस भूमि पर पाप एवं अन्याय बढ़ा है तब-तब प्रभु श्री विष्णु किसी न किसी रूप में धरती पर पापियों का खात्मा करने के लिए प्रकट हुए हैं। वामन अवतार,नरसिंह अवतार,मत्स्य अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार ये सभी इस बात के प्रमाण हैं। विष्णु के दस अवतारों का उल्लेख शास्त्रों में प्राप्त होता है, जिनमें से उन्होंने अब तक नौ अवतार ले लिया है, किन्तु कलियुग में उनका आखिरी अवतार होना अभी शेष है। ऐसा कहा जाता है कि जब कलियुग अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा, तब विष्णु जी कल्कि का अवतार लेकर कलियुग का खात्मा करेंगे तथा फिर धर्मयुग की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार आज भी व्यक्तियों के लिए एक रहस्य है। हर कोई जानना चाहता है कि प्रभु श्री विष्णु अपना कल्कि अवतार कब लेंगे, कहां लेंगे, उनका रूप कैसा होगा, उनका वाहन क्या होगा, ऐसे कई प्रश्नों का उत्तर श्रीमद्भगवद्गीता में उपस्थित है। इस वीडियो में, हम इन्हीं सब बातों के बारे में बताने वाले हैं। भगवद्गीता में, श्री कृष्ण ने कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है तथा अधर्म और पाप का बोलबाला होता है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए वो अवतार लेता है। श्रीमद् भगवद् पुराण के बारहवें स्कन्द में लिखा है कि प्रभु का कल्कि अवतार कलियुग का नष्ट तथा सत्ययुग के संधि काल में होगा। शास्त्रों की मानें तो प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण का अवतार भी अपने-अपने युगों का आखिर में हुआ था। इसलिए जब कलियुग का अंत निकट आ जाएगा तब ईश्वर कल्कि जन्म लेंगे। हमारे धर्म ग्रंथो में कल्कि अवतार से जुड़े एक श्लोक का उल्लेख किया गया है जो ये दिखाता है कि कलियुग में ईश्वर का कल्कि अवतार कब और कहां होगा तथा उनके पिता कौन होंगे? सम्भल ग्राम मुख्यस्य ब्राह्मणास्यमहात्मन। भगवनविष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।। अर्थात, सम्भल ग्राम में विष्णुयश नामक श्रेष्ठ ब्राह्मण के पुत्र के तौर पर ईश्वर कल्कि का जन्म होगा। ये देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर अपनी तलवार से दुष्टों का संहार करेंगे तभी सत्ययुग शुरू होगा। प्रभुः श्री विष्णु का कल्कि अवतार मिस्सकलंक अवतार के नाम से भी जाना जाएगा। इस अवतार में उनकी माता का नाम सुमति होगा। इनके अतिरिक्त उनसे तीन बड़े भाई भी होंगे जो सुमंत, प्राज्ञ तथा कवि के नाम से जाने जाएंगे। याज्ञवलक्य जी पुरोहित और प्रभु परशुराम गुरु होंगे। भगवान श्री कल्कि की दो पत्नियां होंगी लक्ष्मी रूपी पदमा तथा वैष्णवी रूपी रमा, उनके बेटे होंगे जय, विजय, मेघमाल और बलाहक। पुराणों में कहा गया है कि कलियुग के आखिर में ये अवतार धारण करेंगे तथा अधर्मियों का नष्ट करके फिर से धर्म का राज्य स्थापित करेंगे। अभी कलियुग का कुछ वक़्त ही गुजरा है इसलिए अभी इस अवतार के होने में बहुत वक़्त है। अभी तो हम और आप सिर्फ प्रतीक्षा ही कर सकते हैं कि कब कल्कि भगवान इस धरा के उत्थान के लिए जन्म लेंगे। जय श्री गुरुदेव दत्त जय श्री गजानन 🙏 जय श्री राम जय श्री कृष्ण जय श्री हरी विष्णू भगवान जय श्री महाकाली जय श्री महाकाल जी ॐ नमो नारायण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय जय श्री राम 🌹 👏 🚩 ✨ नमस्कार शुभ रात्री वंदन 👣 🌹 👏 🌿 🚩 हर हर महादेव 🙏 🚩 ॐ गं गणपतये नमः 👏
जय श्री गजानन जय श्री भोलेनाथ जय श्री पार्वती माता की ॐ गं गणपतये नमः 👏 नमस्कार शुभ शुभ बुधवार जय श्री गणेश जी 💐 बुधवार का दिन श्री गणेश जी को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। वहीं पंडित रमाकांत मिश्रा जी बताते हैं की यदि उपाय राशि अनुसार किए जाएं तो वे ज्यादा जल्दी प्राभावित होते हों। जी हां, भगवान गणेश को बुद्धि के देवता व रिद्धी सिद्धी के दाता कहा जाता है। प्रथम पूज्य गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास मंत्रों का राशि अनुसार जाप किया जाए तो इससे भगवान गणेश जल्दी प्रसन्न होते हैं। इस उपाय को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए आपको बताते हैं कौन सी राशि को किन मंत्रों का जाप करना चाहिए…. मेष राशि इस राशि के जातकों को ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। वृषभ राशि इस राशि के जातकों को ॐ श्रीन्ग ह्रींग कलिंग गलौंग गंग गणपतये वर वरद सर्वजनमय वशमानय मंत्र का जाप करना चाहिए। मिथुन राशि इस राशि के जातकों को ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए। कर्क राशि इस राशि के जातकों को गणेश जी के ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात मंत्र का जाप करना चाहिए। सिंह राशि इस राशि के जातकों को ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए। कन्या राशि इस राशि के जातकों को ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश, ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति, मेरे कर दूर क्लेश मंत्र का जाप करना चाहिए। तुला राशि इस राशि के जातकों को ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य करते सर्व विघ्ना प्रशंने सर्वार्जय वश्याकरणाय सर्वजण सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीन्ग ॐ स्वः मंत्र का जाप करना चाहिए। वृश्चिक राशि इस राशि के जातकों को ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वरवरदा सर्वजन्म में वशमानय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए धनु राशि इस राशि के जातकों को ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। मकर राशि इस राशि के जातकों को ॐ वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रर्भ, निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा मंत्र का जाप करना चाहिए। कुंभ राशि इस राशि के जातकों को ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वरवरदा सर्वजन्म में वशमानय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। मीन राशि इस राशि के जातकों को ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा मंत्र का जाप करना चाहिए। नमस्कार शुभप्रभात 🌅 वंदन 🌹 👣 👏 शुभ बुधवार ॐ गं गणपतये नमः ॐ नमः शिवाय ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे जय श्री महाकाली जय श्री महाकाल जी जय श्री गजानन 🙏 आप सभी भारतवासी मित्रों को गणपती बाप्पा कल्याण करें नमस्कार 🙏 🚩 आप का हर पल अच्छा रहे स्वस्थ रहे मस्त रहे धन्यवाद 🙏 🌷 🌹 🌿 🚩 🐚