केदारनाथ धाम की अपनी बहुत बड़ी महिमा है। बद्रीनाथ और केदारनाथ , ये उत्तराखंड के दो प्रमुख तीर्थ हैं और दोनों के ही दर्शनों का अपना अपना महत्त्व है। लेकिन केदारनाथ के संबंध में कहा जाता है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है। ऐसी भी मान्यता है कि केदारनाथ सहित नर नारायण मूर्ति के दर्शन मात्र कर लेने से समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है।
अगर इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना कि बात करें तो वह यह है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उन्हीं की तपस्या आराधना से प्रसन्न होकर शिव शम्भु प्रकट हुए और उनकी प्रार्थना स्वीकार करते हुए ,ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया और तभी से यह स्थल केदारनाथ पर्वतराज हिमालय के केदार नामक श्रृंग पर स्थित है। शीतकाल के नवंबर माह में केदारनाथ मंदिर के फाटक बंद हो जाते हैं जो फिर सामान्यत: अप्रैल माह में वैसाखी के पश्चात ही खुलते हैं।
दर्शन का आम समय :
प्रात: 6:00 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक
baba kedarnath ke kpat 6 maah k liye kulte h or dipawali m baba kedar nath k kpat band hote h or baba ki doli 6 maah k liye ukhimat m rati h jaha madmeswar ka mela lgta h jay kedarnath
जब तक आवरण है , तब तक वेदांतवादी की "सोहम" अर्थात "मै ही परब्रह्म हूँ" -- यह बात नही चलती । जल की ही तरंग है , तरंग का जल नहीं कहलाता । जब तक आवरण है , तब तक " माँ , माँ " कहकर पुकारना अच्छा है । तुम माँ हो , मैं तुम्हारी सन्तान हूँ । तुम प्रभु ह...