🌸*॥हरि ॐ तत्सत्॥*🌸🙏🌸*श्रीमद्भागवत-कथा*🌸
🌸🙏*श्रीमद्भागवत-महापुराण*🙏🌸
🌸🙏*पोस्ट - 175*🌸🙏🌸*स्कन्ध - 08*🙏🌸
🌸🙏*अध्याय - 16*🙏🌸
*इस अध्याय में कश्यप जी के द्वारा अदिति को पयोव्रत का उपदेश.....
*श्रीशुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित! जब देवता इस प्रकार भागकर छिप गये और दैत्यों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया; तब देवमाता अदिति को बड़ा दुःख हुआ। वे अनाथ-सी हो गयीं।
*एक बार बहत दिनों के बाद जब परम प्रभावशाली कश्यप मुनि की समाधि टूटी, तब वे अदिति के आश्रम पर आये। उन्होंने देखा कि न तो वहाँ सुख-शान्ति है और न किसी प्रकार का उत्साह या सजावट ही।
*परीक्षित! जब वे वहाँ जाकर आसन पर बैठ गये और अदिति ने विधिपूर्वक उनका सत्कार कर लिया, तब वे अपनी पत्नी अदिति से-जिसके चेहरे पर बड़ी उदासी छायी हुई थी, बोले- ‘कल्याणी! इस समय संसार में ब्राह्मणों पर कोई विपत्ति तो नहीं आयी है? धर्म का पालन तो ठीक-ठीक होता है? काल के कराल गाल में पड़े हुए लोगों का कुछ अमंगल तो नहीं हो रहा है?
*प्रिये! गृहस्थाश्रम तो, जो लोग योग नहीं कर सकते, उन्हें भी योग का फल देने वाला है। इस गृहस्थाश्रम में रहकर धर्म, अर्थ और काम के सेवन में किसी प्रकार विघ्न तो नहीं हो रह है? यह भी सम्भव है कि तुम कुटुम्ब के भरण-पोषण में व्यग्र रही हो, अतिथि आये हों और तुमसे बिना सम्मान पाये ही लौट गये हों; तुम खड़ी होकर उनका सत्कार करने में भी असमर्थ रही हो। इसी से तो तुम उदास नहीं हो रही हो? जिन घरों में आये हुए अतिथि का जल से भी सत्कार नहीं किया जाता और वे ऐसे ही लौट जाते हैं, वे घर अवश्य ही गीदड़ों के घर के समान हैं।
*प्रिये! सम्भव है, मेरे बाहर चले जाने पर कभी तुम्हारा चित्त उद्विग्न रहा हो और समय पर तुमने हविष्य से अग्नियों में हवन न किया हो। सर्वदेवमय भगवान् के मुख हैं-ब्राह्मण और अग्नि। गृहस्थ पुरुष यदि इन दोनों की पूजा करता है तो उसे उन लोकों की प्राप्ति होती है, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं।
*प्रिये! तुम तो सर्वदा प्रसन्न रहती हो; परन्तु तुम्हारे बहुत-से लक्षणों से मैं देखा रहा हूँ कि इस समय तुम्हारा चित्त अस्वस्थ है। तुम्हारे सब लड़के तो कुशल-मंगल से हैं न?
*अदिति ने कहा- भगवन! ब्राह्मण, गौ, धर्म और आपकी यह दासी-सब कुशल हैं। मेरे स्वामी! यह गृहस्थ-आश्रम ही अर्थ, धर्म और काम की साधना में परम सहायक है। प्रभो! आपके निरन्तर स्मरण और कल्याण-कामना से अग्नि, अतिथि, सेवक, भिक्षुक और दूसरे याचकों का भी मैंने तिरस्कार नहीं किया है। भगवन! जब आप-जैसे प्रजापति मुझे इस प्रकार धर्म पालन का उपदेश करते हैं; तब भला मेरे मन की ऐसी कौन-सी कामना है जो पूरी न हो जाये? आर्यपुत्र! समस्त प्रजा-वह चाहे सत्त्वगुणी, रजोगुणी या तमोगुणी हो-आपकी ही सन्तान है। कुछ आपके संकल्प से उत्पन्न हुए हैं और कुछ शरीर से। भगवन्! इसमें सन्देह नहीं कि आप सब सन्तानों के प्रति-चाहे असुर हों या देवता-एक-सा भाव रखते हैं, सम हैं। तथापि स्वयं परमेश्वर भी अपने भक्तों की अभिलाषा पूर्ण किया करते हैं।
*मेरे स्वामी! मैं आपकी दासी हूँ। आप मेरी भलाई के सम्बनध में विचार कीजिये। मर्यादापालक प्रभो! शत्रुओं ने हमारी सम्पत्ति और रहने का स्थान तक छीन लिया है। आप हमारी रक्षा कीजिये। बलवान दैत्यों ने मेरे ऐश्वर्य, धन, यश और पद छीन लिये हैं तथा हमें घर से बाहर निकाल दिया है। इस प्रकार मैं दुःख के समुद्र में डूब रही हूँ। आपसे बढ़कर हमारी भलाई करने वाला और कोई नहीं है। इसलिये मेरे हितैषी स्वामी! आप सोच-विचार कर अपने संकल्प से ही मेरे कल्याण का कोई ऐसा उपाय कीजिये, जिससे कि मेरे पुत्रों को वे वस्तुएँ फिर से प्राप्त हो जायें।
*श्रीशुकदेव जी कहते हैं- 'इस प्रकार अदिति ने जब कश्यप जी से प्रार्थना की, तब वे कुछ विस्मित-से होकर बोले- ‘बड़े आश्चर्य की बात है। भगवान की माया भी कैसी प्रबल है! यह सारा जगत स्नेह की रज्जु से बँधा हुआ है। कहाँ यह पंचभूतों से बना हुआ अनातमा शरीर और कहाँ प्रकृति से परे आत्मा? न किसी का कोई पति है, न पुत्र है और न तो सम्बन्धी ही है। मोह ही मनुष्यों को नचा रहा है। प्रिये! तुम सम्पूर्ण प्राणियों के हृदय में विराजमान, अपने भक्तों के दुःख मिटाने वाले जगद्गुरु भगवान वासुदेव की आराधना करो। वे बड़े दीनदयालु हैं। अवश्य ही श्रीहरि तुम्हारी कामनाएँ पूर्ण करेंगे। मेरा यह दृढ़ निश्चय है कि भगवान की भक्ति कभी व्यर्थ नहीं होती। इसके सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है’।
*अदिति ने पूछा- 'भगवन! मैं जगदीश्वर भगवान की आराधना किस प्रकार करूँ, जिससे वे सत्यसंकल्प प्रभु मेरा मनोरथ पूर्ण करें। पतिदेव! मैं अपने पुत्रों के साथ बहुत दुःख भोग रही हूँ। जिससे वे शीघ्र ही मुझ पर प्रसनन हो जायें, उनकी आराधना की वही विधि मुझे बतलाइये।'
*कश्यप जी ने कहा- 'देवि! जब मुझे संतान की कामना हुई थी, तब मैंने भगवान ब्रह्मा जी से यही बात पूछी थी। उन्होंने मुझे भगवान को प्रसन्न करने वाले जिस व्रत का उपदेश किया था, वही मैं तुम्हें बतलाता हूँ। फाल्गुन के शुक्ल पक्ष में बारह दिन तक केवल दूध पीकर रहे और परम भक्ति से भगवान कमलनयन की पूजा करे। अमावस्या के दिन यदि मिल सके तो सूअर की खोदी हुई मिट्टी से अपना शरीर मलकर नदी में स्नान करे। उस समय यह मंत्र पढ़ना चाहिये।
*हे देवि! प्राणियों को स्थान देने की इच्छा से वराह भगवान ने रसातल से तुम्हारा उद्धार किया था। तुम्हें मेरा नमस्कार है। तुम मेरे पापों को नष्ट कर दो। इसके बाद अपने नित्य और नैमित्तिक नियमों को पूरा करके एकाग्रचित्त से मूर्ति, वेदी, सूर्य, जल, अग्नि और गुरुदेव के रूप में भगवान की पूजा करे। (और इस प्रकार स्तुति करे-)
*‘प्रभो! आप सर्वशक्तिमान हैं। अंतर्यामी और आराधनीय हैं। समस्त प्राणी आप में और आप समस्त प्राणियों में निवास करते हैं। इसी से आपको ‘वासुदेव’ कहते हैं। आप समस्त चराचर जगत और उसके कारण के भी साक्षी हैं। भगवन! मेरा आपको नमस्कार है। आप अव्यक्त और सूक्ष्म हैं। प्रकृति और पुरुष के रूप में भी आप ही स्थित हैं। आप चौबीस गुणों के जानने वाले और गुणों की संख्या करने वाले सांख्यशास्त्र के प्रवर्तक हैं। आपको मेरा नमस्कार है।'
*आप वह यज्ञ हैं, जिसके प्रायणीय और उदयनीय-ये दो कर्म सिर हैं। प्रातः, मध्याह्न और सायं-ये तीन सवन ही तीन पाद हैं। चारों वेद चार सींग हैं। गायत्री आदि सात छन्द ही सात हाथ हैं। यह धर्ममय वृषभरूप यज्ञ वेदों के द्वारा प्रतिपादित है, इसकी आत्मा हैं स्वयं आप! आपको मेरा नमस्कार है। आप ही लोक कल्याणकारी शिव और आप ही प्रलयकारी रुद्र हैं। समस्त शक्तियों को धारण करने वाले भी आप ही हैं। आपको मेरा बार-बार नमस्कार है। आप समस्त विद्याओं के अधिपति एवं भूतों के स्वामी हैं। आपको मेरा नमस्कार। आप ही सबके प्राण और आप ही इस जगत् के स्वरूप भी हैं। आप योग के कारण तो हैं ही, स्वयं योग और उससे मिलने वाला ऐश्वर्य भी आप ही हैं।
*हे हिरण्यगर्भ! आपके लिये मेरे नमस्कार। आप ही आदिदेव हैं। सबके साक्षी हैं। आप ही नर-नारायण ऋषि के रूप में प्रकट स्वयं भगवान हैं। आपको मेरा नमस्कार। आपका शरीर मरकत मणि के समान साँवला है। समस्त सम्पत्ति और सौन्दर्य की देवी लक्ष्मी आपकी सेविका हैं। पीताम्बरधारी केशव! आपको मेरा बार-बार नमस्कार। आप सब प्रकार के वर देने वाले हैं। वर देने वालों में श्रेष्ठ हैं। तथा जीवों के एकमात्र वरणीय हैं। यही कारण है कि धीर विवेकी पुरुष अपने कल्याण के लिये आपके चरणों की रज की उपासना करते हैं। जिनके चरणकमलों की सुगन्ध प्राप्त करने की लालसा में समस्त देवता और स्वयं लक्ष्मी जी भी सेवा में लगी रहती हैं, वे भगवान मुझ पर प्रसन्न हों’।
*प्रिये! भगवान हृषीकेश का आवाहन पहले ही कर ले। फिर इन मन्त्रों के द्वारा पाद्य, आचमन आदि के साथ श्रद्धापूर्वक मन लगाकर पूजा करे। गन्ध, माला आदि से पूजा करके भगवान को दूध से स्नान करावे। उसके बाद वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, पाद्य, आचमन, गन्ध, धूप आदि के द्वारा द्वादशाक्षर मन्त्र से भगवान की पूजा करे। यदि सामर्थ्य हो तो दूध में पकाये हुए तथा घी और गुड़ मिले हुए शालि के चावल का नैवेद्य लगावे और उसी का द्वादशक्षर मन्त्र से हवन करे। उस नैवेद्य को भगवानके भक्तों में बाँट दे या स्वयं पा ले। आसमान और पूजा के बाद ताम्बूल निवेदन करे। एक सौ आठ बार द्वादशाक्षर मन्त्र का जप करे और स्तुतियों के द्वारा भगवानका स्तवन करे। प्रदक्षिणा करके बड़े प्रेम और आनन्द से भूमि पर लोटकर दण्डवत्-प्रणाम करे। निर्माल्य को सिर से लगाकर देवता का विसर्जन करे। कम-से-कम दो ब्राह्मणों को यथोचित रीति से खीर का भोजन करावे। दक्षिणा आदि से उनका सत्कार करे। इसके बाद उनसे आज्ञा लेकर अपने इष्ट-मित्रों के साथ बचे हुए अन्न को स्वयं ग्रहण करे। उस दिन ब्रह्मचर्य से रहे और दूसरे दिन प्रातःकाल ही स्नान आदि करके पवित्रतापूर्वक पूर्वोक्त विधि से एकाग्र होकर भगवान की पूजा करे। इस प्रकार जब तक व्रत समाप्त न हो, तब तक दूध से स्नान कराकर प्रतिदिन भगवान की पूजा करे। भगवान् की पूजा में आदर-बुद्धि रखते हुए केवल पयोव्रती रहकर यह व्रत करना चाहिये। पूर्ववत् प्रतिदिन हवन और ब्राह्मण भोजन कराना चाहिये। इस प्रकार पयोव्रती रहकर बारह दिन तक प्रतिदिन भगवान की आराधना, होम और पूजा करे तथा ब्राह्मण-भोजन कराता रहे।
*फाल्गुन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर त्रयोदशीपर्यन्त ब्रह्मचर्य से रहे, पृथ्वी पर शयन करे और तीनों समय स्नान करे। झूठ न बोले। पापियों से बात न करे। पाप की बात न करे। छोटे-बड़े सब प्रकार के भोगों का त्याग कर दे। किसी भी प्राणी को किसी प्रकार से कष्ट न पहुँचावे। भगवान की आराधना में लगा ही रहे।
*त्रयोदशी के दिन विधि जानने वाले ब्राह्मणों के द्वारा शात्रोक्त विधि से भगवान विष्णु को पंचामृत स्नान करावे। उस दिन धन का संकोच छोड़कर भगवान की बहुत बड़ी पूजा करनी चाहिये और दूध में चरु (खीर) पकाकर विष्णु भगवान को अर्पित करना चाहिये। अत्यन्त एकाग्रचित्त से उसी पकाये हुए चरु के द्वारा भगवान का यजन करना चाहिये और उनको प्रसन्न करने वाला गुणयुक्त तथा स्वादिष्ट नैवेद्य अर्पण करना चाहिये।
*प्रिये! आचार्य और ऋत्विजों को शुद्ध, सात्त्विक और गुणयुक्त भोजन कराना ही चाहिये; दूसरे ब्राह्मण और आये हुए अतिथियों को भी अपनी शक्ति के अनुसार भोजन कराना चाहिये। गुरु और ऋत्विजों को यथायोग्य दक्षिणा देनी चाहिये। जो चाण्डाल आदि अपने-आप वहाँ आ गये हों, उन सभी को तथा दीन, अंधे और असमर्थ पुरुषों को भी अन्न आदि देकर सन्तुष्ट करना चाहिये। जब सब लोग खा चुकें, तब उन सबके सत्कार को भगवान की प्रसन्नता का साधन समझते हुए अपने भाई-बन्धुओं के साथ स्वयं भोजन करे। प्रतिपदा से लेकर त्रयोदशी तक प्रतिदिन नाच-गाना, बाजे-गाजे, स्तुति, स्वस्तिवाचन और भगवत्कथाओं से भगवान की पूजा करे-करावे।
*प्रिये! यह भगवान की श्रेष्ठ आराधना है। इसका नाम है ‘पयोव्रत’। ब्रह्मा जी ने मुझे जैसा बताया था, वैसा ही मैंने तुम्हें बता दिया।
*देवि! तुम भाग्यवती हो। अपनी इन्द्रियों को वश में करके शुद्ध भाव एवं श्रद्धापूर्ण चित्त से इस व्रत का भलीभाँति अनुष्ठान करो और इसके द्वारा अविनाशी भगवान की आराधना करो।
*कल्याणी! यह व्रत भगवान को सन्तुष्ट करने वाला है, इसलिये इसका नाम है ‘सर्वयज्ञ’ और ‘सर्वव्रत’। यह समस्त तपस्याओं का सार और मुख्य दान है। जिनसे भगवान प्रसन्न हों-वे ही सच्चे नियम हैं, वे ही उत्तम यम हैं, वे ही वास्तव में तपस्या, दान, व्रत और यज्ञ हैं।
*इसलिये देवि! संयम और श्रद्धा से तुम इस व्रत का अनुष्ठान करो। भगवान शीघ्र ही तुम पर प्रसन्न होंगे और तुम्हारी अभिलाषा पूर्ण करेंगे।
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*श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
*हे नाथ नारायण वासुदेवाय॥
"जय जय श्री हरि"
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कामेंट्स
Ratna Nankani Mar 4, 2021
Om ganaptye namah 🙏 Shubh sandhya 🙏
muskan Mar 4, 2021
jay sree krisna 🙏🌲🍀
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 4, 2021
@mrgupta Thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice Day 🙏
saumya sharma Mar 4, 2021
Om namo bhagawate Vasudevaay 🙏Good night bhai g🌙🌹very nice post👌may God bless you with health, wealth and success 🙏always be happy😊
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 4, 2021
@saumyasharma1 Thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice night 🙏
GOVIND CHOUHAN Mar 4, 2021
JAI SHREE RADHEY RADHEY JIII 🌺 JAI SHREE RADHEY KRISHNA JII 🌺 SUBH RATRI VANDAN JII 🙏🙏 VERY NICE LINES JII 👌👌👌
Brajesh Sharma Mar 4, 2021
जय श्री राधे राधे जी जय श्री राधे कृष्णा जी... ॐ नमः शिवाय.. हर हर महादेव
Ajit sinh Parmar Mar 4, 2021
गुड न।इट र।धेकृषण आप हरहमेशकुशलरहो जी आपक। जिवन अमृतमय रहे जी एसि तमन्ना है हम।री🌹🙏🌹
मेरे साईं (indian women) Mar 4, 2021
Jai shree krishna 🙏 shubh ratri vandhan 🙏
🌷🌷Poonam Dahiya 🌷🌷 Mar 5, 2021
हरे कृष्णा जी🙏🏻🙏🏻 जय श्री श्याम राधे राधे गुड मॉर्निंग सही कहा जी अब तो लोग मौसम की तरह बदलते हैं🌴💐 राधे राधे कान्हा जी की कृपा बनी रहे आप और आपके परिवार पर🙌🙌
devbhumi dwarka (તિર્થધામ) Mar 5, 2021
good morning Jaysrikrishna
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@govindchouhan Thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice Day 🙏
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@brajeshsharma1 धन्यवाद सुप्रभात आपका दिन शुभ हो 🙏 ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय 🙏
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@ajitsinhparma भाई साहब धन्यवाद सुप्रभात आपका दिन शुभ हो 🙏 भगवान शिव आपको खुश और स्वस्थ रखे 🙏
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@kanwar Thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice Day 🙏
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@devbhumidwaka Thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice Day 🙏
🇮🇳🇮🇳purav🇮🇳🇮🇳 Mar 5, 2021
@poonammalik Ji haa ji bilkul sahi kaha aapne thanks for Watching Like And comments Radhe Radhe God bless you and your family Have nice Day 🙏
BK WhatsApp STATUS Mar 7, 2021
जय श्री कृष्ण शुभ प्रभात स्नेह वंदन धन्यवाद 🌹🙏🙏
RAKESH SHARMA Mar 8, 2021
GREAT SUPER EMOTIONAL LINES NICE BEAUTIFUL POST THANKS PARAMESHWAR KA AASHIRWAD KRP AP AUR PARIWAR PAR HUMESHA BANI RAHE AP SABHI HUMESHA PRASAN PRAGATISHEEL RAHE 🙏🙏🙏🌹🌹👌👌🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌷🌷🥀🥀🌴🌴👍👍👍🌲🌲🌲🌺🌺
Dhananjay Khanna Mar 14, 2021
Radhey Radhey ji 🙏🙏🙏🙏🙏 Bolo Suryanarayan Bhagwaan ji ki jai 🌹🌹🌹🌹🌹 May Krishna bless you all 🙏🙏🙏🙏🙏