#सुप्रभात नाली पर पड़ा बेढंगा पत्थर भी, किसी अच्छे कारीगर के हाथ लग जाए तो भगवान की मूर्ति बन जाता है । लहरों में डूबता उतरता लकड़ी का लठ्ठा, कारीगर के पुरुषार्थ से नाव बन कर खुद भी तैरने लगता है, औरों को भी तराने लगता है । किसी को मारने में उपयोगी गाँठदार चाँडाल बाँस को भी कारीगर ने भीतर से खोखला कर, छेद कर, कृष्णप्रिया बाँसुरी बना दिया । अपनी भी किस्मत चमकी है । हमें भी कारीगर मिले हैं, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कारीगर । अरे कितना कहूँ अपने लिए तो भगवान ही कारीगर बन आए । बस हमें उस पत्थर आदि की तरह उसके, अपने सद्गुरु के, चरणों में डटे रहना है । कितनी ही चोट पड़े, कुछ भी सहन क्यों न करना पड़े, घबराना नहीं, पलटना नहीं, भागना नहीं । मूर्ति बनेगी । नाव गढ़ेगी । बाँसुरी बजेगी ॥
कामेंट्स
Swami Lokeshanand Aug 30, 2017
राम राम आशीष जी