जय श्री राम
💕🌺राजाधिराज महाराज भूत भावन अवंतिका नाथ तीनों लोको के स्वामी भगवान महाकाल की आज संध्या आरती के दिव्य दर्शन स्वयं देखिये,06-03-2021🌺💕 🚩🚩🔱जय श्री महाकाल मित्रों 🔱🚩🚩 🌀दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन से🌀 💕आप का मित्र दीपक राव इन्दौर,06-03-2021💕
🚩🙏जय श्री महाकालेश्वर🙏🚩* *दि 07.03.2021 को ज्योतिर्लिङ्ग श्री महाकालेश्वर जी का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन
🏵️💕 #जय_श्री_महाँकाल 💕🏵️* *🎪⚜️🔱श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन 🔱⚜️🎪* *#शिवनवरात्री_के_चतुर्थ_दिवस_पर_आज_भस्म_आरती_के_अद्भुत_दर्शन स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग राजाधिराज मृत्युलोकाधिपति भूतभावन अवंतिकानाथ बाबा महाकाल का आज पावन दिव्य #भस्म_आरती श्रंगार दर्शन शनिवार 06 मार्च 2021
🚩🙏जय श्री महाकालेश्वर🙏🚩* *दि 05.03.2021 को ज्योतिर्लिङ्ग श्री महाकालेश्वर जी का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन
💕🌺राजाधिराज महाराज भूत भावन अवंतिका नाथ तीनों लोको के स्वामी भगवान महाकाल की आज भस्म आरती के दिव्य दर्शन स्वयं देखिये,06-03-2021🌺💕 🚩🚩🔱जय श्री महाकाल मित्रों 🔱🚩🚩 🌀दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन से🌀 💕आप का मित्र दीपक राव इन्दौर,06-03-2021💕
जय सियाराम माता जानकी जयंती की सभी को सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।। माता जानकी का एक प्रसंग 👉भगवान श्रीराम राजसभा में विराज रहे थे उसी समय विभीषण वहां पहुंचे। वे बहुत भयभीत और हड़बड़ी में लग रहे थे। सभा में प्रवेश करते ही वे कहने लगे- हे राम! मुझे बचाइए, कुंभकर्ण का बेटा मूलकासुर आफत ढा रहा है। अब लगता है, न लंका बचेगी और न मेरा राजपाट। भगवान श्रीराम द्वारा ढांढस बंधाए जाने और पूरी बात बताए जाने पर विभीषण ने बताया कि कुंभकर्ण का एक बेटा मूल नक्षत्र में पैदा हुआ था इसलिए उस का नाम मूलकासुर रखा गया। इसे अशुभ जान कुंभकर्ण ने जंगल में फिंकवा दिया था। जंगल में मधुमक्खियों ने मूलकासुर को पाल लिया। मूलकासुर जब बड़ा हुआ तो उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। अब उनके दिए वर और बल के घमंड में भयानक उत्पात मचा रखा है। जब जंगल में उसे पता चला कि आपने उसके खानदान का सफाया कर लंका जीत ली और राजपाट मुझे सौंप दिया है, तो वह भन्नाया हुआ है। भगवन्, आपने जिस दिन मुझे राजपाट सौंपा उसके कुछ दिन बाद ही उसने पातालवासियों के साथ लंका पहुंचकर मुझ पर धावा बोल दिया। मैंने 6 महीने तक मुकाबला किया, पर ब्रह्माजी के वरदान ने उसे इतना ताकतवर बना दिया है कि मुझे भागना पड़ा तथा अपने बेटे, मंत्रियों तथा स्त्री के साथ किसी प्रकार सुरंग के जरिए भागकर यहां पहुंचा हूं। उसने कहा कि 'पहले धोखेबाज भेदिया विभीषण को मारूंगा फिर पिता की हत्या करने वाले राम को भी मार डालूंगा। वह आपके पास भी आता ही होगा। समय कम है, लंका और अयोध्या दोनों खतरे में हैं। जो उचित समझते हों तुरंत कीजिए।' भक्त की पुकार सुन श्रीरामजी हनुमान तथा लक्ष्मण सहित सेना को तैयार कर पुष्पक यान पर चढ़ झट लंका की ओर चल पड़े। मूलकासुर को श्रीरामचन्द्र के आने की बात मालूम हुई, वह भी सेना लेकर लड़ने के लिए लंका के बाहर आ डटा। भयानक युद्ध छिड़ गया। 7 दिनों तक घोर युद्ध होता रहा। मूलकासुर भगवान श्रीराम की सेना पर अकेले ही भारी पड़ रहा था। अयोध्या से सुमंत्र आदि सभी मंत्री भी आ पहुंचे। हनुमानजी संजीवनी लाकर वानरों, भालुओं तथा मानुषी सेना को जिलाते जा रहे थे। पर सब कुछ होते हुए भी युद्ध का नतीजा उनके पक्ष में जाता नहीं दिख रहा था। भगवान भी चिंता में थे। विभीषण ने बताया कि इस समय मूलकासुर तंत्र-साधना करने गुप्त गुफा में गया है। उसी समय ब्रह्माजी वहां आए और भगवान से कहने लगे- 'रघुनंदन! इसे तो मैंने स्त्री के हाथों मरने का वरदान दिया है। आपका प्रयास बेकार ही जाएगा। श्रीराम, इससे संबंधित एक बात और है, उसे भी जान लेना फायदेमंद हो सकता है। जब इसके भाई-बिरादर लंका युद्ध में मारे जा चुके तो एक दिन इसने मुनियों के बीच दुखी होकर कहा, 'चंडी सीता के कारण मेरा समूचा कुल नष्ट हुआ'। इस पर एक मुनि ने नाराज होकर उसे शाप दे दिया- 'दुष्ट! तूने जिसे 'चंडी' कहा है, वही सीता तेरी जान लेगी।' मुनि का इतना कहना था कि वह उन्हें खा गया बाकी मुनि उसके डर से चुपचाप खिसक गए। तो हे राम! अब कोई दूसरा उपाय नहीं है। अब तो केवल सीता ही इसका वध कर सकती हैं। आप उन्हें यहां बुलाकर इसका वध करवाइए, इतना कहकर ब्रह्माजी चले गए। भगवान श्रीराम ने हनुमानजी और गरूड़ को तुरंत पुष्पक विमान से सीताजी को लाने भेजा। इधर सीता देवी-देवताओं की मनौती मनातीं, तुलसी, शिव-प्रतिमा, पीपल आदि के फेरे लगातीं, ब्राह्मणों से 'पाठ, रुद्रीय' का जप करातीं, दुर्गाजी की पूजा करतीं कि विजयी श्रीराम शीघ्र लौटें। तभी गरूड़ और हनुमानजी उनके पास पहुंचे। पति के संदेश को सुनकर सीताजी तुरंत चल दीं। भगवान श्रीराम ने उन्हें मूलकासुर के बारे में सारा कुछ बताया। फिर तो भगवती सीता को गुस्सा आ गया। उनके शरीर से एक दूसरी तामसी शक्ति निकल पड़ी, उसका स्वर बड़ा भयानक था। यह छाया सीता चंडी के वेश में लंका की ओर बढ़ चलीं। इधर श्रीराम ने वानर सेना को इशारा किया कि मूलकासुर जो तांत्रिक क्रियाएं कर रहा है उसको उसकी गुप्त गुफा में जाकर तहस-नहस करें। वानर गुफा के भीतर पहुंचकर उत्पात मचाने लगे तो मूलकासुर दांत किटकिटाता हुआ सब छोड़-छाड़कर वानर सेना के पीछे दौड़ा। हड़बड़ी में उसका मुकुट गिर पड़ा। फिर भी भागता हुआ वह युद्ध के मैदान में आ गया। युद्ध के मैदान में छाया सीता को देखकर मूलकासुर गरजा, तू कौन? अभी भाग जा। मैं औरतों पर मर्दानगी नहीं दिखाता। छाया सीता ने भी भीषण आवाज करते हुए कहा, 'मैं तुम्हारी मौत चंडी हूं। तूने मेरा पक्ष लेने वाले मुनियों और ब्राह्मणों को खा डाला था, अब मैं तुम्हें मारकर उसका बदला चुकाऊंगी।' इतना कहकर छाया सीता ने मूलकासुर पर 5 बाण चलाए। मूलकासुर ने भी जवाब में बाण चलाए। कुछ देर तक घोर युद्ध हुआ, पर अंत में 'चंडिकास्त्र' चलाकर छाया सीता ने मूलकासुर का सिर उड़ा दिया और वह लंका के दरवाजे पर जा गिरा। राक्षस हाहाकार करते हुए इधर-उधर भाग खड़े हुए। छाया सीता लौटकर सीता के शरीर में प्रवेश कर गई। मूलकासुर से दुखी लंका की जनता ने मां सीता की जय-जयकार की और विभीषण ने उन्हें धन्यवाद दिया। कुछ दिनों तक लंका में रहकर श्रीराम सीता सहित पुष्पक विमान से अयोध्या लौट आए। जय सियाराम
सुप्रभात मित्रों 🌹
💕🌺राजाधिराज महाराज भूत भावन अवंतिका नाथ तीनों लोको के स्वामी भगवान महाकाल की आज भस्म आरती के दिव्य दर्शन स्वयं देखिये,05-03-2021🌺💕 🚩🚩🔱जय श्री महाकाल मित्रों 🔱🚩🚩 🌀दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन से🌀 💕आप का मित्र दीपक राव इन्दौर,05-03-2021💕
💕🌺राजाधिराज महाराज भूत भावन अवंतिका नाथ तीनों लोको के स्वामी भगवान महाकाल की आज संध्या आरती के दिव्य दर्शन स्वयं देखिये,05-03-2021🌺💕 🚩🚩🔱जय श्री महाकाल मित्रों 🔱🚩🚩 🌀दर्शन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन से🌀 💕आप का मित्र दीपक राव इन्दौर,05-03-2021💕
🙏🌹जय श्री महाकाल 🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन उज्जैन मध्यप्रदेश से 🔱 05 मार्च 2021 ( शुक्रवार ) 🔱