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जय शिव भवानी। जय शिव भवानी। जय शिव भवानी। जय शिव भवानी।
आज कल,सभी लोग हमेशा किसी न किसी समस्या से ग्रस्त रहते है और नाना प्रकार के उपाय करते है फिर भी अशांति बनी रहती है।तो क्या किया जाय जिससे जीवन शांतिपूर्ण तरीके से जी सके। क्या ऐसा कोई एक उपाय है जो जीवन मे स्थिरता और खुशी ला सके? जी,बिल्कुल है।आज आपको ऐसे स्रोतों का पाठ बता रहा हूँ,इसे प्रतिदिन प्रातः उठकर स्नान ध्यान करके नियमित करे,फिर अपने जीवन मे चमत्कार घटते हुए स्वयं देखे। हम लोग जब भी ज्योतिषीय उपाय करते है तो केवल 9 ग्रहो को ही ध्यान में रख कर उन्ही का उपाय करते है और जिस ग्रह पृथ्वी पर रहते है उसके लिए उपाय नही करते है।तो आज आपको जो उपाय बता रहे है उसके द्वारा पृथ्वी सहित नौ ग्रहों का उपाय एक साथ समाहित है। सर्व प्रथम माता पृथ्वी का स्रोत करे, क्योंकि सबसे ज्यादा प्रभाव इसी ग्रह का हम पर पड़ता है क्योंकि हम इसी ग्रह पर निवास करते है। सुबह स्नान करने के पूजा गृह में जायें पहले अपनी दैनिक पूजा को सम्पन्न करे फिर निम्न स्रोतों का पाठ करे। प्रणाम मन्त्र- समुद्र-वसने देवि, पर्वत-स्तन-मंडिते। विष्णु-पत्नि नमस्तुभ्यं॥ माता भूमि: पुत्रोहं पृथिव्या: नमो माता पृथिव्यै नमो माता पृथिव्यै। पृथ्वी स्रोत। सत्यं बृहदृतमुग्रं दीक्षा तपो ब्रह्म यज्ञः पृथिवीं धारयन्ति । सा नो भूतस्य भव्यस्य पत्न्युरुं लोकं पृथिवी नः कृणोतु ॥१॥ असंबाधं बध्यतो मानवानां यस्या उद्वतः प्रवतः समं बहु । नानावीर्या ओषधीर्या बिभर्ति पृथिवी नः प्रथतां राध्यतां नः ॥२॥ यस्यां समुद्र उत सिन्धुरापो यस्यामन्नं कृष्टयः संबभूवुः । यस्यामिदं जिन्वति प्राणदेजत्सा नो भूमिः पूर्वपेये दधातु ॥३ ॥ यस्यां पूर्वे पूर्वजना विचक्रिरे यस्यां देवा असुरानभ्यवर्तयन् । गवामश्वानां वयसश्च विष्ठा भगं वर्चः पृथिवी नो दधातु ॥४॥ गिरयस्ते पर्वता हिमवन्तोऽरण्यं ते पृथिवि स्योनमस्तु । बभ्रुं कृष्णां रोहिणीं विश्वरूपां ध्रुवां भूमिं पृथिवीमिन्द्रगुप्ताम् । अजीतेऽहतो अक्षतोऽध्यष्ठां पृथिवीमहम् ॥५॥ पृथ्वी स्रोत्र के पश्चात नवग्रह के स्रोत करे। नवग्रह शांति मन्त्र- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु। नवग्रह पीड़ाहारी स्रोत्र- ग्रहाणामादिरात्यो लोकरक्षणकारक:। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे रवि: ।।1।। रोहिणीश: सुधामूर्ति: सुधागात्र: सुधाशन:। विषमस्थानसम्भूतां पीड़ां हरतु मे विधु: ।।2।। भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा। वृष्टिकृद् वृष्टिहर्ता च पीड़ां हरतु में कुज: ।।3।। उत्पातरूपो जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति:। सूर्यप्रियकरो विद्वान् पीड़ां हरतु मे बुध: ।।4।। देवमन्त्री विशालाक्ष: सदा लोकहिते रत:। अनेकशिष्यसम्पूर्ण:पीड़ां हरतु मे गुरु: ।।5।। दैत्यमन्त्री गुरुस्तेषां प्राणदश्च महामति:। प्रभु: ताराग्रहाणां च पीड़ां हरतु मे भृगु: ।।6।। सूर्यपुत्रो दीर्घदेहा विशालाक्ष: शिवप्रिय:। मन्दचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां हरतु मे शनि: ।।7।। अनेकरूपवर्णेश्च शतशोऽथ सहस्त्रदृक्। उत्पातरूपो जगतां पीडां पीड़ां मे तम: ।।8।। महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबल:। अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीड़ां हरतु मे शिखी: ।।9।। पीड़ाहारी स्रोत्र के बाद विश्व सहित समस्त ब्रह्मांड में शांति रहे सभी का कल्याण हो इसके लिए शांति मन्त्र का पाठ करे। शांति मन्त्र-शांति पाठ। ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥ ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्ष (गुँ) शान्ति:, पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:। वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:, सर्व (गुँ) शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥ ॥ आप चाहें तो इसको कॉपी कर प्रिंट निकाल कर पूजा स्थल पर रख दे जिससे रोज पाठ कर सकें। सुरेश दुबे। ज्योतिषाचार्य। प्रयागराज। 8299651970
व्रत में दवा - गोली का उपयोग क्यो नही किया जाता हैं...? 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 दरअसल कैप्सूल के ऊपर जो कवर होता है उसके अंदर ओषधि भरी जाती है वो कवर प्लास्टिक का नहीं होता आपको देखने मे जरूर लगेगा कि ये प्लास्टिक है लेकिन वो प्लास्टिक का नहीं है क्योंकि अगर ये प्लास्टिक का होगा तो आप उसको खाओगे तो अंदर जाकर घुलेगा ही नहीं ,क्योंकि प्लास्टिक 400 वर्ष तक घुलता नहीं है वो कैप्सूल ऐसे का ऐसे सुबह टॉइलेट के रास्ते बाहर आ जाएगा । ये जो कैप्सूल के खाली कवर जिस कैमिकल से बनाये जाते है उसका नाम है gelatin (जिलेटिन ) । जिलेटिन से ये सब के सब कैप्सूल के कवर बनाये जाते है ,और जिलेटिन के बारे मे आप सब जानते है और बहुत बार आपने मेनका गांधी के मुंह से भी सुना होगा की जब गाय के बछड़े या गाय को कत्ल किया जाता है उसके बाद उसके पेट की बड़ी आंत से जिलेटिन बनाई जाती है तो ये सब के सब कैप्सूल मांसाहारी होते है । आप चाहे तो मेरी बात पर विश्वास ना करें आप google पर (capsules made of ) लिख कर search करें । 1 नहीं 2 नहीं सैंकड़ों link आपको मिल जाएंगे, जिससे आपको स्पष्ट हो जाएगा की कैप्सूल जिलेटिन से बनाये जाते है तो अब प्रश्न उठता है तो हम खाएं क्या ? मित्रो रास्ता एक ही आप अपनी चिकित्सा स्वयं करों अर्थात आपको पुनः आयुर्वेद की ओर लौटना पड़ेगा , मित्रो दरअसल हमारे देश गौ ह्त्या मात्र मांस के लिए नहीं की जाती है इसके अतिरिक्त जो खून निकलता है,जो हड्डियों का चुरा होता है ,जो चर्बी से तेल निकलता है ,बड़ी आंत से जिलेटिन निकलती है ,चमड़ा निकलता है इन सब का प्रयोग कोसमेटिक (सोन्दर्य उत्पाद ),टूथपेस्ट ,नेलपालिश ,लिपस्टिक खाने पीने की चींजे , एलोपेथी ,दवाइयाँ जूते ,बैग आदि बनाने मे प्रयोग किया जाता है , जिसे हम सब लोग अपने दैनिक जीवन मे बहुत बार प्रयोग मे लाते है , तो गौ रक्षा की बात करने से पूर्व पहले हम सबको उन सब वस्तुओ का त्याग करना चाहिए जिनकी कारण जीव ह्त्या होती है , दैनिक जीवन मे प्रयोग होने वाली वस्तुओ की पहले अच्छे से परख करनी चाहिए फिर प्रयोग मे लाना चाहिए । 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸
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