rajeev kumar ने यह पोस्ट की।
Jai mata Di 🌹🌹🌹🌹
🚩🔔🌹जय माता दी शुभ नवरात्रि 🌹🔔🙏 🌹या देवी सर्वभूतेषु मांँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। 🌿नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ 🌹सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। 🌿 शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥ 🌹ऊँ सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया: । 🌹सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ॥ अर्थ : -सभी सुखी हों, सभी निरोगी हों, सभी को शुभ दर्शन हों और कोई दु:ख से ग्रसित न हो। 🙏🌿🌿🌹🌹माँ भगवती सभी का सदा कल्याण करें सदा मंगल प्रदान करें जय माता दी 🌹🌹🌿🌿🙏
*🙏🌹जय श्री महाकाल 🌹🙏* *श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का आज का भस्म आरती श्रृंगार दर्शन* *🔱17 अप्रैल 2021 ( शनिवार )🔱*🌹🌹
Jai Shree Krishna ji💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯🥀💯
*ॐ जय श्री हनुमंते नमः..* *एक अदभुत मूर्ति कष्टभंजन देव की |* *भक्ति को बजरंगबली , शक्ति को हनुमान |* *कष्ट मिटाने के लिए कष्टभंजन देव नाम |.......* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *सतर्क रहें, स्वस्थ रहें* *Stay Home* *Stay Safe*🌹 🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹 🙏🌞🌞🌞🌞🌞🙏 🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹🇦🇹 ‼️1️⃣7️⃣▪0️⃣4️⃣▪2⃣1️⃣‼️ શણગાર દર્શન શનીવાર *ચૈત્ર, સુદ - ૫ પંચમી પાંચમ* *વિક્રમ સંવત ૨૦૭૮* Shrangar Darshan Saturday, Apr. 17,2021 *Shree Salangpur Hanumanji Dham*
🌴🌴🌴🌷🌷🌷🌷🙏🙏🙏🙏🙏🙏Jai mata di suprabhat vandan to all 🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌿🌿🌿🌿🌿
🌹🙏🌹🚩🕉पंचमं स्कंधमातेति ।षंष्टं कात्यायनीति च।। नवरात्र के पाँचवे स्वरुप में ,,माँ,,,स्कंधमाता की आराधना मे भक्त अपने ब्यवहारिक ज्ञान को कर्म मे परिवर्तित करते हैं। मान्यता है कि देबी इच्छा शक्ति ,,ज्ञान शक्ति,, और क्रियाशक्ति का समागम हैं। जब ब्रह्रमाण्ड मे ब्याप्त ,,शिव,, तत्व का मिलन इस त्रिशक्ति के साथ होता है तब स्कंध(कार्तिकेय) का जन्म होता है।स्कंधमाता ज्ञान व क्रिया के श्रोत का प्रतीक मानी गयी हैं। योगीजन इस दिन बिशुध्द चक्र में अपना मन एकाग्र करते हैं । स्कंन्धमाता का विग्रह चार भुजाओंवाला है। वे अपनी गोंद मेंभगवान स्कंध को बिठाये रखती हैं। वे अपनी दोदो भुजाओं मे छः मुखों वाले बालरुप स्कंध(कार्तिकेय) को सभाँले रखती हैं । इनका वर्ण पूरी तरह निर्मल काँन्तिवाला सफेद है। वे कमल के आसन पर बिराजती हैं ।सिंह इनका बाहन है। यह माँ का बात्सल्य बिग्रह है वे कोई शस्त्र धारण नहीं करती ।भक्त इन्हें केले का भोग लगाते हैं। मन्त्र---🕉ह्रीं क्लीं स्वमिन्यैः नमः । आज का बिचार---सही दिशा न होने के कारण ज्ञान व पुरुषार्थ भी बिफल हो जाते हैं।