★ *#योग में गहरे अनुभव कब* ★
☆ *आत्मा की विभिन्न शक्तियों का प्रयोग* ☆
➼ *इसमें सबसे पहले है इच्छा शक्ति (Will Power)। आत्मा की चेतना की जो अभिव्यक्ति है वो है इच्छा शक्ति जिसको अंग्रेजी में 'विल पॉवर' कहते हैं।* कोई भी कार्य करने से पहले हमारे मन में उस वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा उत्पन्न होती है। फिर उसको पाने के लिए सारे साधन जुटाकर वो कार्य करने के लिए जुट जाते हैं। जब तक हमारी इच्छायें ही बँटी रहेंगी अर्थात् दिल टुकड़ा-टुकड़ा हुआ रहेगा कि यह भी चाहिए, वो भी चाहिए और मन में *कई प्रकार के आकर्षण रहेंगे तो योग में गहरा अनुभव नहीं कर सकेंगे।*
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➼ *जब तक हमारे में ये प्रबल इच्छा अर्थात् इच्छा शक्ति नहीं रहेगी कि मुझे योग में उत्कृष्ट अनुभव करना है, इस जीवन को योगी जीवन बनाना है, तब तक हम योग में गहरा अनुभव नहीं कर सकते।* कर्मेन्द्रियों की इच्छाओं को जन्म-जन्मांतर पूरी करते आये हैं। यह जो ईश्वरीय अनुभूति है, योग की जो गहराई है इसे हम इस संगमयुग में ही प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए मुझे योग की परमानुभूति करनी है- *यह इच्छा, शक्ति रूप धारण करे और बाकी इच्छाओं को दूर करे। तब हम योग में गहरे अनुभव कर पाते हैं।*
_To Be Continued...._
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