**जय श्री राधे कृष्णा जी**
**शुभरात्रि वंदन**
*चीजों का उपयोग करना, लेकिन उनके मोह में न पड़ना, सफलता का यही रहस्य है*
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एक बहुत ही मशहूर महात्मा थे। उनके पास रोज ही बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आते थे। एक बार एक बहुत ही अमीर व्यापारी उनसे मिलने पहुंचा। व्यापारी ने सुन रखा था कि महात्मा बड़े ही सुफीयाना तरीके से रहते है।
जब वह व्यापारी महात्मा के दरबार में पहुंचा तो उसने देखा कि कहने को तो वह महात्मा है, लेकिन वे जिस आसन पर बैठे है, वह तो सोने का बना है, चारों ओर सुगंध है, जरीदार पर्दे टंगे है, सेवक है जो महात्माजी की सेवा में लगे है और रेशमी ड़ोरियो की सजावट है।
व्यापारी यह देखकर भौंच्चका रह गया कि हर तरफ विलास और वैभव का साम्राज्य है। ये कैसे महात्मा है? महात्मा उसके बारे में कुछ कहते, इसके पहले ही व्यापारी ने कहा,
“महात्माजी आपकी ख्याती सुनकर आपके दर्शन करने आया था, लेकिन यहाँ देखता हूँ, आप तो भौतिक सपंदा के बीच मजे से रह रहे हैं लेकिन आप में साधु के कोई गुन नजर नही आ रहे है।“
महात्मा ने व्यापारी से कहा, “व्यापारी… तुम्हें ऐतराज है तो मैं इसी पल यह सब वैभव छोड़कर तुम्हारे साथ चल देता हूँ।“
व्यापारी ने कहा, “हे महात्मा, क्या आप इस विलास पूर्ण जीवन को छोड़ पाएंगे?“
महात्माजी कुछ न बोले और उस व्यापारी के साथ चल दिए और जाते-जाते अपने सेवको से कहा कि यह जो कुछ भी है सब के सब गरीबो में बाँट दें।
दोनो कुछ ही दूर चले होंगे कि अचानक व्यापारी रूका और पीछे मुड़ा और कुछ सोचने लगा।
महात्मा ने पूछा, “क्या हुआ रूक क्यों गए?“
व्यापारी ने कहा, “महात्मा जी, मैं आपके दरबार में अपना कांसे का लोटा भूल आया हूँ। मैं उसे जाकर ले आता हूँ, उसे लेना जरूरी है।”
महात्माजी हंसते हुए बोले, “बस यही फर्क है तुममें और मुझमें। मैं सभी भौतिक सुविधाओं का उपयोग करते हुए भी उनमें बंधता नहीं, इसीलिए जब चाहुं तब उन्हें छोड़ सकता हूँ और तुम एक लोटे के बंधन से भी मुक्त नहीं हो।“
इतना कहते हुए महात्माजी फिर से अपने दरबार की ओर जानें लगे और वह व्यापारी उन्हें जाता हुआ देखता रहा क्योंकि महात्मा उसे जीवन का सबसे अमूल्य रहस्य बता चुके थे।
इस छोटी सी कहानी का सारांश ये है कि चीजों का उपयोग करना, लेकिन उनके मोह में न पड़ना, यही जीवन का अन्तिम उद्देश्य होना चाहिए क्योंकि मोह ही दु:खों का कारण है और जिसे चीजों का मोह नहीं, वह उनके बंधन में भी नहीं पड़ता और जो बंधन में नही पड़ता, वो हमेंशा मुक्त ही है..!!
*🙏🏾🙏🏽🙏🏻जय जय श्री राधे*🙏🙏🏼🙏🏿
: *🙏🏻🚩सत्संग का आदर करो प्यारे और खुद को पहचानों आप क्या हो और क्या कर रहे हो ?🚩🙏🏻*
एक भिखारी था । उसने सम्राट होने के लिए कमर कसी । चौराहे पर अपनी फटी-पुरानी चादर बिछा दी, अपनी हाँडी रख दी और सुबह-दोपहर-शाम भीख माँगना शुरू कर दिया क्योंकि उसे सम्राट होना था । भीख माँगकर भी भला कोई सम्राट हो सकता है ? किंतु उसे इस बात का पता नहीं था ।
भीख माँगते-माँगते वह बूढ़ा हो गया और मौत ने दस्तक दी । मौत तो किसी को नहीं छोड़ती । वह बूढ़ा भी मर गया । लोगों ने उसकी हाँडी फेंक दी, सड़े-गले बिस्तर नदी में बहा दिये, जमीन गंदी हो गयी थी तो सफाई करने के लिए थोड़ी खुदाई की । खुदाई करने पर लोगों को वहाँ बहुत बड़ा खजाना गड़ा हुआ मिला ।
तब लोगों ने कहा : 'कितना अभागा था ! जीवनभर भीख माँगता रहा । जहाँ बैठा था अगर वहीं जरा-सी खुदाई करता तो सम्राट हो जाता !'
ऐसे ही हम जीवनभर बाहर की चीजों की भीख माँगते रहते हैं किन्तु जरा-सा भीतर गोता मारें , ईश्वर को पाने के लिए ध्यान का जरा-सा अभ्यास करें तो *उस आत्मखजाने को भी पा सकते हैं , जो हमारे अंदर ही छुपा हुआ है।
🙏🙏🙏🙏 जय जय श्री राधे 🙏🙏🙏🙏
कामेंट्स
KRISH Mar 2, 2021
Right say