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*चैत्र (वासंतीय) नवरात्र 2021, भाग-1*
*घटस्थापन-पूजा मुहूर्त समय- 13.04.2021*
*दिन- मंगलवार*
*शुभ मुहूर्त- 5.28 am से 10:14 am।*
*अवधि- 04 घंटे 15 मिनट*
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (विद्युत) का प्रतिनिधित्व है। वसंत की शुरुआत ( वांसतीय नवरात्रे-चैत्रमास- मार्च/अप्रैल) जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है। यह समय मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माना जाता है। इस त्योहार की तिथियाँ चांद्रमास के अनुसार निर्धारित होती हैं।
नवरात्रि पर्व, माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम,तथा रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखी अवधि माना जाता है। यह पूजा वैदिक युग से भी पहले, प्रागैतिहासिक काल से की जाती है।
नवरात्रि का अर्थ है, नई रात अर्थात रात्रि में हो रहा परिवर्तन, यानि जलवायु तथा ऋतु मे हो रहा परिवर्तन । पृथ्वी के घूमने की वजह से ये परिवर्तन होते हैं, ऐसे परिवर्तन को सहने के लिए ही व्रत किए जाते हैं, और यह व्रत देवी के निमित्त इसलिए किए जाते हैं, क्योंकि देवी का एक नाम "कालरात्रि" भी है और "कालरात्रि" यानि कालपुरूष मे परिवर्तन करने वाली, अर्थात देवी ही "प्रकृति की भी अधिष्ठात्री देवी" है ।
चैत्र नवरात्र वर्ष 2021 मे दिनांक '13 अप्रैल, मंगलवार से प्रांरभ होकर 21 अप्रैल गुरुवार (रामनवमी) तक चलेगे । दुर्गाष्टमी 20 अप्रैल को मनाई जायेगी ।
*घटस्थापना मुहूर्त:-*
नवरात्र पूजन का सीधा तथा सामान्य सिद्वांत सूर्योदय से 10 घटी ( यानि 4 घंटे के बीच मे ) घटस्थापना यानि पूजा आंरभ करने का होता है, इसमे शुभ लग्न, शुभचौघडिया, अन्य ग्रह योग देखकर मुहूर्त तय किया जाता है ।
चैत्र प्रतिपदा यानी नवरात्र के पहले दिन 13 अप्रैल को प्रातः 5:28 से प्रातः 10:14 तक घटस्थापना करके पूजा का आरंभ करना चाहिए ।
पहला दिन: 13 अप्रैल 2021, मां शैलपुत्री पूजा
दूसरा दिन: 14 अप्रैल 2021, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरा दिन: 15 अप्रैल 2021, मां चंद्रघंटा पूजा
चौथा दिन: 16 अप्रैल 2021, मां कूष्मांडा पूजा
पांचवां दिन: 17 अप्रैल 2021, मां स्कंदमाता पूजा
छठा दिन: 18 अप्रैल 2021, मां कात्यायनी पूजा
सातवां दिन: 19 अप्रैल 2021, मां कालरात्रि पूजा
आठवां दिन: 20 अप्रैल 2021, मां महागौरी पूजा, दुर्गाष्टमी ।
नौवां दिन: 21 अप्रैल 2021, मां सिद्धिदात्री पूजा, रामनवमी, नवरात्र समाप्त ।
*नवरात्रि पूजन तथा व्रत की विभिन्न विधियाँ :-*
शास्त्रानुसार नवरात्रि पूजन तथा व्रत की अनेक विधियां कही गई है, इस लेख मे केवल तीन विधियों के संबंध मे बताया जा रहा है, भक्त अपनी-२ मान्यतानुसार इनमे से किसी भी विधि से नवरात्रे पूजा कर सकते है ।
*नवरात्र पूजन विधि-1( दुर्गा सप्तशती )*
नवरात्र पूजन के विभिन्न तरीके है, इनमे जो सबसे अधिक प्रचलित है वह 'दुर्गा सप्तशती' पाठ करने के साथ व्रत रखना ।
'दुर्गा सप्तशती' एक धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन है। यह मार्कण्डेय पुराण का अंश है। इसमें ७०० श्लोक होने के कारण इसे 'दुर्गा सप्तशती' भी कहते हैं। इसमें सृष्टि की प्रतीकात्मक व्याख्या की गई है। जगत की सम्पूर्ण शक्तियों के दो रूप माने गये है - संचित और क्रियात्मक। नवरात्रि के दिनों में इसका पाठ किया जाता है।
इस रचना का विशेष संदेश है कि विकास-विरोधी दुष्ट अतिवादी शक्तियों को सारे सभ्य लोगों कि सम्मिलित शक्ति "सर्वदेवशरीजम" ही परास्त कर सकती है, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। इस प्रकार आर्यशक्ति अजेय है। इसको भेदन दुष्कर है। इसलिए यह 'दुर्गा' है।
इसके लिए दुर्गा सप्तशती ( गीताप्रेस, गोरखपुर ) की पुस्तक लेकर उसके तेरह अध्यायो का प्रतिदिन पाठ करे ।
यदि ये तेरह अध्याय प्रतिदिन न हो पाये तो आप अष्टमी या नवमी जो भी पूजते हो, पहले नवरात्रे से लेकर अपने कंजक बिठाने के दिन तक उन दिनो मे तेरह अध्याय को दिन के अनुसार निश्चित संख्या मे बांटकर रोजाना पाठ करे ।
परंतु दोनो मे से किसी भी विधि से, पाठ शुरु करने से पहले प्रतिदिन आत्मशुद्धि करके संकल्प ले, तत्पश्चात क्षमतानुसार पंचोपचार पूजन या दशोपचार पूजन अथवा षोडशोपचार पूजन करके अर्गला, कीलक, तथा चण्डी कवच का पाठ अवश्य करे, फिर इसके उपरांत निम्नलिखित प्रकार से सातो दिन अध्याय का पाठ करना चाहिए ।
*अध्याय पाठ का क्रम:-*
१. पहले दिन एक अध्याय - प्रथम अध्याय
२. दूसरे दिन दो अध्याय -(द्वितीय तथा तृतीय अध्याय)
३. तीसरे दिन एक अध्याय- चतुर्थ अध्याय
४. चौथे दिन चार अध्याय- पंचमी, षष्ठ, सप्तम, अष्टम अध्याय ।
५. पाँचवे दिन दो अध्याय- नवम तथा दशम अध्याय
६. छठवें दिन एक अध्याय- ग्यारहवां अध्याय ।
७. सातवें दिन दो अध्याय- द्वादश तथा त्रयोदश अध्याय ।
इस प्रकार से सात दिनों में तेरहों अध्यायों का पाठ किया जाता है ।
तत्पश्चात माता से क्षमा प्रार्थना करें - क्षमा प्रार्थना का स्तोत्र भी दुर्गा सप्तशती में ही वर्णित है ।
प्रतिदिन पाठ करने के बाद, तथा शाम को भी अम्बे जी की आरती अवश्य करे ।
*पूजा विधि-2:-( नवदुर्गा पूजन )*
नवरात्रो की पूजन की अगली विधि नवदुर्गा पूजन यानि नौ दिनो मे प्रत्येक दिन की अलग-२ देवी होती है, उन देवियों के दिनो के अनुसार उनके मंत्रो द्वारा उनकी उपासना करना और अंतिम दिन हवन करके मंत्रो के दशांश की आहुति देकर कंजक बिठाना ।
(*नवरात्र पूजन विधि लेख के तुरंत बाद 13 अप्रैल से नौ दुर्गाओ पर विस्तृत लेख शुरू होगा, उक्त लेखो मे सभी नौ देवियों के मंत्र तथा स्तोत्र इत्यादि प्रस्तुत होगे* ) भक्त उन लेखो से मां के मंत्र प्राप्त कर सकते हैं ।
*नवरात्रो की नौ देवियो का एक सम्मिलित महामंत्र:-*
*प्रथमं शैलपुत्री, द्वितियं ब्रह्मचारिणी, तृृतयं चन्द्रघण्टेति, कूष्मांडेति चतुर्थकम, पंचमम स्कंदमातेती, षष्ठम् कात्यायनी च , सप्तमं कालरात्रिती, महागौरिती चाष्टमम् , नवमं सिद्विदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिता:।।*
इस प्रकार अपनी अभीष्ट की सिद्वि के लिए आप इन नवरात्रो के शुभ अवसर का लाभ मंत्रो के द्वारा उठा सकते है ।
*पूजा विधि-3:-( निर्वाण मंत्र)*
मां दुर्गा के निर्वाण मंत्र का सवा लाख की संख्या मे जाप स्वयं करके, या किन्हीं सुयोग्य ब्राह्मणो द्वारा करवाकर अंतिम दिन हवन करके उसकी पूर्ति करके नवरात्रो का पूजन कर सकते हैं ।
*निर्वाणमंत्र :-*
*ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ॥*
*(क्रमशः)*
*लेख के दूसरे तथा अंतिम भाग मे कल नवरात्र पूजन तथा पूजा हेतू तैयारियां तथा नवरात्रो मे करने योग्य कर्म तथा वर्जित कर्म।*
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*आगामी लेख:-*
*1. 13 अप्रैल से नवदुर्गा विषय पर धारावाहिक लेख ।*
*2. शीघ्र ही हनुमान जयंती पर लेख ।*
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*जय श्री राम*
*आज का पंचांग 🌹🌹🌹*
*रविवार,11.4.2021*
*श्री संवत 2077*
*शक संवत् 1943*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-उत्तर गोल*
*ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।*
*मास- चैत्र मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष ।*
*तिथि- चतुर्दशी तिथि 6:04 am तक*
*चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि मे ।*
*नक्षत्र- उ०भाद्रपद 8:58 am तक*
*योग- ऐन्द्रे योग 1:51 pm तक (अशुभ है)*
*करण- शकुनि करण 6:05 am तक*
*सूर्योदय 6 am, सूर्यास्त 6:44 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:57 am से 12:48 pm*
*राहुकाल - 5:08 pm से 6:44 pm* (अशुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।*
*अप्रैल माह -शुभ दिन:-*
शुभ दिन : 13, 14 (5 pm तक), 16 (6 pm उपरांत), 17, 18, 19, 20 (12 pm उपरांत), 21, 22, 23 (11 am तक), 24, 25, 26 (1 pm तक), 28 (सायंकाल 5 उपरांत), 29 (12 pm तक), 30 (12 pm उपरांत)
*अप्रैल माह-अशुभ दिन:-* 11, 12, 15, 27
*गंडमूल:- 11 अप्रैल 8:58 am से "रेवती" नामक गंडमूल नक्षत्र शुरू होकर 13 अप्रैल 2:19 pm तक "अश्विनी" नामक गंडमूल नक्षत्र रहेगें ।* गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है ।
*पंचक:- पंचक प्रारंभ 7 अप्रैल 3 pm से लेकर 12 अप्रैल 11:29 am तक।* पंचक नक्षत्रों मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern or Pillar ) 2.लकडी या तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई बुनना या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है ।)
*सर्वार्थ सिद्ध योग :- 11अप्रैल 6 am to 11अप्रैल 8:58 am तक* ( यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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*विशेष:- जो व्यक्ति दिल्ली से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-* 10 अप्रै०:- मासिक शिवरात्रि। 13 अप्रैल:- घटस्थापना, चैत्र नवरात्रि प्रारंभ। 14 अप्रैल:- वैसाखी। 16 अप्रैल:- विनायक चतुर्थी। 21 अप्रैल:- राम नवमी। 22 अप्रैल:- चैत्र नवरात्रि पारण। 23 अप्रैल:- कामदा एकादशी। 24 अप्रैल:- शनि प्रदोष। 26 अप्रैल:- चैत्र पूर्णिमा। 30 अप्रैल:- संकष्टी चतुर्थी
आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
*आचार्य राजेश ( रोहिणी, दिल्ली )*
*9810449333, 7982803848*
कामेंट्स
Mahesh Thakur Dec 24, 2016
जय विनायक