*शुभ रात्रि वंदन* *जय कन्हैयालाल की* *जय यशोदा मैया की* *आपका हर पल शुभ हो* *किसने कहा-* *आपकी याद* *नहीं आती*, *बिना याद किये* *कोई रात नहीं जाती,* *वक्त बदल जाता है*, *आदत नहीं जाती* *❤आप खास हो❤* *यह बात हर बार* *कही नहीं जाती!!* *GOOD NIGHT Ji* 🌼🌷❤🙏❤🌷🌼
Good morning
🙏🌹 आज का सुविचार 🌹🙏 हमें प्रभु हर उस स्थान में दिख जाते हैं, जहां हम देखना चाहते हैं।
. "गुरु अवज्ञा" एक बार की बात है, एक भक्त के दिल में आया कि गुरु महाराज जी को रात में देखना चाहिए कि क्या वो भी भजन सिमरन करते हैं ? वो रात को गुरु महाराज जी के कमरे की खिड़की के पास खड़ा हो गया। गुरु महाराज जी रात 9:30 तक भोजन और बाकी काम करके अपने कमरे में आ गये। वो भक्त देखता है कि गुरु महाराज जी एक पैर पर खड़े हो कर भजन सिमरन करने लग गये। वो कितनी देर तक देखता रहा और फिर थक कर खिड़की के बाहर ही सो गया। 3 घंटे बाद जब उसकी आँख खुली तो वो देखता है कि गुरु महाराज जी अभी भी एक पैर पर खड़े भजन सिमरन कर रहे हैं, फिर थोड़ी देर बाद गुरु महाराज जी भजन सिमरन से उठ कर थोड़ी देर कमरे में ही इधर उधर घूमें और फिर दोनों पैरो पर खड़े होकर भजन सिमरन करने लगे। वो भक्त देखता रहा और देखते-देखते उसकी आँख लग गई और वो सो गया। जब फिर उसकी आँख खुली तो 4 घंटे बीत चुके थे और अब गुरु महाराज जी बैठ कर भजन सिमरन कर रहे थे। थोड़ी देर में सुबह हो गई और गुरु महाराज जी उठ कर तैयार हुए और सुबह की सैर पर चले गये। वो भक्त भी गुरु महाराज जी के पीछे ही चल गया और रास्ते में गुरु महाराज जी को रोक कर हाथ जोड़ कर बोलता है कि गुरु महाराज जी मैं सारी रात आपको खिड़की से देख रहा था कि आप रात में कितना भजन सिमरन करते हो। गुरु महाराज जी हंस पड़े और बोले:- बेटा देख लिया तुमने फिर ? वो भक्त शर्मिंदा हुआ और बोला कि गुरु महाराज जी देख लिया पर मुझे एक बात समझ नहीं आई कि आप पहले एक पैर पर खड़े होकर भजन सिमरन करते रहे फिर दोनों पैरों पर और आखिर में बैठ कर जैसे कि भजन सिमरन करने को आप बोलते हो, ऐसा क्यूँ ? गुरु महाराज जी बोले बेटा एक पैर पर खड़े होकर मुझे उन सत्संगियो के लिए खुद भजन सिमरन करना पड़ता है जिन्होंने नाम दान लिया है मगर बिलकुल भी भजन सिमरन नहीं करते। दोनों पैरो पर खड़े होकर मैं उन सत्संगियो के लिए भजन सिमरन करता हूँ जो भजन सिमरन में तो बैठते हैं मगर पूरा समय नहीं देते। बेटा जिनको नाम दान मिला है, उनका जवाब सतपुरख को मुझे देना पडता है, क्योंकि मैंने उनकी जिम्मेदारी ली है नाम दान देकर। और आखिर में मैं बैठ कर भजन सिमरन करता हूँ, वो मैं खुद के लिए करता हूँ, क्योंकि मेरे गुरु ने मुझे नाम दान दिया था और मैं नहीं चाहता की उनको मेरी जवाबदारी देनी पड़े। भक्त ये सब सुनकर एक दम सन्न खड़ा रह गया।
🙏सुनहरे सुबह का वन्दन🙏🙏शुभ गुरुवार 🙏🙏
🙏मां शेरावाली 🙏
*शुभ दिन गुरुवार* *जय हरि विष्णुदेव* *आपका हर पल शुभ हो* *विचार अच्छे हैं तो-* *मन ही मंदिर है,* *आचरण अच्छे तो-* *तन ही मंदिर है*, *व्यवहार अच्छे तो-* *धन ही मंदिर है*, *और अगर ये* *तीनों अच्छे हैं तो-* *जीवन ही मंदिर है!* *शुभ प्रभात वंदन* 🌷👏🏵️🙏🏵️👏🌷
*शुभ गुरुवार वंदन* *जय हरि विष्णुदेव* *"भलाई करना"* *कर्तव्य नहीं..* *आनंद, है,* *क्योंकि यह...* *आपके, स्वास्थ्य* *और* *सुख, में वृद्धि करता है।* *🌹शुभ प्रभात🌹* 🏵️👏🌷🙏🌷👏🏵️