*भाग्य में लिखा मिट नहीं सकता*
चंदन नगर का राजा चंदन सिंह बहुत ही पराक्रमी एवं शक्तिशाली था । उसका राज्य भी धन-धान्य से पूर्ण था । राजा की ख्याति दूर-दूर तक फैली थी ।
एक बार चंदन नगर में एक ज्योतिषी पधारे । उनका नाम था भद्रशील । उनके बारे में विख्यात था कि वह बहुत ही पहुंचे हुए ज्यातिषी हैं और किसी के भी भविष्य के बारे में सही-सही बता सकते हैं । वह नगर के बाहर एक छोटी कुटिया में ठहरे थे ।
उनकी इच्छा हुई कि वह भी राजा के दर्शन करें । उन्होंने राजा से मिलने की इच्छा व्यक्त की और राजा से मिलने की अनुमति उन्हें सहर्ष मिल गई । राज दरबार में राजा ने उनका हार्दिक स्वागत किया । चलते समय राजा ने ज्योतिषी को कुछ हीरे-जवाहरात देकर विदा करना चाहा, परंतु ज्योतिषी ने यह कह कर मना कर दिया कि वह सिर्फ अपने भाग्य का खाते हैं । राजा की दी हुई दौलत से वह अमीर नहीं बन सकते ।
राजा ने पूछा - "इससे क्या तात्पर्य है आपका गुरुदेव ?"
"कोई भी व्यक्ति अपनी किस्मत और मेहनत से गरीब या अमीर होता है । यदि राजा भी किसी को अमीर बनाना चाहे तो नहीं बना सकता । राजा की दौलत भी उसके हाथ से निकल जाएगी ।"
यह सुनकर राजा को क्रोध आ गया ।
"गुरुदेव ! आप किसी का हाथ देखकर यह बताइए कि उसकी किस्मत में अमीर बनना लिखा है या गरीब, मैं उसको उलटकर दिखा दूंगा ।" राजा बोले ।
"ठीक है, आप ही किसी व्यक्ति को बुलाइए, मैं बताता हूं उसका भविष्य और भाग्य ।" ज्योतिषी ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया ।
राजा ने अपने मंत्री को चुपचाप कुछ आदेश दिया और कुछ ही क्षणों में एक सजा-धजा नौजवान ज्योतिषी के सामने हाजिर था । ज्योतिषी भद्रशील ने ध्यान से उस व्यक्ति का माथा देखा फिर हाथ देखकर कहा - "यह व्यक्ति गरीबी में जन्मा है और जिन्दगी भर गरीब ही रहेगा । इसे खेतों और पेड़ों के बीच कुटिया में रहने की आदत है और वहीं रहेगा ।"
राजा चंदन सिंह सुनकर हैरत में पड़ गया, बोला - "आप ठीक कहते हैं, यह सजा-धजा नौजवान महल के राजसी वस्त्र पहनकर आया है, परंतु वास्तव में यह महल के बागों की देखभाल करने वाला गरीब माली है । परंतु गुरुदेव एक वर्ष के भीतर मैं इसे अमीर बना दूंगा । यह जिन्दगी भर गरीब नहीं रह सकता ।"
राजा का घमंड देखकर ज्योतिषी ने कहा - "ठीक है, आप स्वयं प्रयत्न कर लीजिए, मुझे आज्ञा दीजिए ।" और ज्योतिषी भद्रशील चंदन नगर से चले गए ।
राजा ने अगले दिन माली दयाल को बुलाकर एक पत्र दिया और साथ में यात्रा करने के लिए कुछ धन दिया । फिर उससे कहा - "यहां से सौ कोस दूर बालीपुर में मेरे परम मित्र भानुप्रताप रहते हैं, वहां जाओ और यह पत्र उन्हें दे आओ ।"
सुनकर दयाल का चेहरा लटक गया । वह पत्र लेकर अपनी कुटिया में आ गया और सोचने लगा यहां तो पेड़ों की थोड़ी-बहुत देखभाल करके दिन भर आराम करता हूं । अब इतनी गर्मी में इतनी दूर जाना पड़ेगा ।
परंतु राजा की आज्ञा थी, इसलिए अगले दिन सुबह तड़के वह चंदन नगर से पत्र लेकर निकल गया । दो गांव पार करते-करते वह बहुत थक चुका था और धूप चढ़ने लगी थी । इस कारण उसे भूख और प्यास भी जोर की लगी थी । वह उस गांव में बाजार से भोजन लेकर एक पेड़ के नीचे खाने बैठ गया । अभी आधा भोजन ही कर पाया था कि उसका एक अन्य मित्र, जो खेती ही करता था, मिल गया ।
दयाल ने अपनी परेशानी अपने मित्र टीकम को बताई । सुनकर टीकम हंसने लगा, बोला - "इसमें परेशानी की क्या बात है ? राजा के काम से जाओगे, खूब आवभगत होगी । तुम्हारी जगह मैं होता तो खुशी-खुशी जाता ।" यह सुनकर दयाल का चेहरा खुशी से खिल उठा, "तो ठीक है भैया टीकम, तुम ही यह पत्र लेकर चले जाओ, मैं एक दिन यहीं आराम करके वापस चला जाऊंगा ।"
टीकम ने खुशी-खुशी वह पत्र ले लिया और दो दिन में बाली नगर पहुंच गया । वहां का राजा भानुप्रताप था । टीकम आसानी से भानुप्रताप के दरवाजे तक पहुंच गया और सूचना भिजवाई कि चंदन नगर के राजा का दूत आया है । उसे तुरंत अंदर बुलाया गया ।
टीकम की खूब आवभगत हुई । दरबार में मंत्रियों के साथ उसे बिठाया । गया जब उसने पत्र दिया तो भानुप्रताप ने पत्र खोला । पत्र में लिखा था - "प्रिय मित्र, यह बहुत योग्य एवं मेहनती व्यक्ति है । इसे अपने राज्य में इसकी इच्छानुसार चार सौ एकड़ जमीन दे दो और उसका मालिक बना दो । यह मेरे पुत्र समान है । यदि तुम चाहो तो इससे अपनी पुत्री का विवाह कर सकते हो । वापस आने पर मैं भी उसे अपने राज्य के पांच गांव इनाम में दे दूंगा ।"
राजा भानुप्रताप को लगा कि यह सचमुच में योग्य व्यक्ति है, उसने अपनी पुत्री व पत्नी से सलाह करके पुत्री का विवाह टीकम से कर दिया और चलते समय ढेरों हीरे-जवाहारात देकर विदा किया ।
उधर, आलसी दयाल थका-हारा अपनी कुटिया में पहुंचा और जाकर सो गया । दो दिन सोता रहा । फिर सुबह उठकर पेड़ों में पानी देने लगा । सुबह जब राजा अपने बाग में घूमने निकले तो दयाल से पत्र के बारे में पूछा । दयाल ने डरते-डरते सारी राजा को बता दी ।
राजा को बहुत क्रोध आया और साथ ही ज्योतिषी की भविष्यवाणी भी याद आई । परंतु राजा ने सोचा कि कहीं भूल-चूक भी हो सकती है । अत: वह एक बार फिर प्रयत्न करके देखेगा कि दयाल को धनी किस प्रकार बनाया जाए ? तीन-चार दिन पश्चात् दयाल राजा का गुस्सा कम करने की इच्छा से खेत से बड़े-बड़े तरबूज तोड़कर लाया । और बोला - "सरकार, इस बार फसल बहुत अच्छी हुई है । देखिए, खेत में कितने बड़े-बड़े तरबूज हुए हैं । राजा खुश हो गया । उसने चुपचाप अपने मंत्री को इशारा कर दिया । मंत्री एक बड़ा तरबूज लेकर अंदर चला गया और उसे अंदर से खोखला कर उसमें हीरे-जवाहारात भरवाकर ज्यों का त्यों चिपकाकर ले आया ।
राजा ने दयाल से कहा - "हम आज तुमसे बहुत खुश हुए हैं । तुम्हें इनाम में यह तरबूज देते हैं ।"
सुनकर दयाल का चेहरा फिर लटक गया । वह सोचने लगा कि राजा ने इनाम दिया भी तो क्या ? वह बड़े उदास मन से तरबूज लेकर जा रहा था, तभी उसका परिचित लोटन मिल गया । वह बोला - "क्यों भाई, इतने उदास होकर तरबूज लिए कहां चले जा रहे हो ?"
दयाल बोला - "क्या करूं, बात ही कुछ ऐसी है । आज राजा मुझसे खुश हो गए, पर इनाम में दिया यह तरबूज । भला तरबूज भी इनाम में देने की चीज है ? मैं किसे खिलाऊंगा इतना बड़ा तरबूज ?"
लोटन बोला - "निराश क्यों होते हो भाई, इनाम तो इनाम ही है । मुझे ऐसा इनाम मिलता तो मेरे बच्चे खुश हो जाते ।"
"फिर ठीक है, तुम्हीं ले लो यह तरबूज ।" और दयाल तरबूज देकर कुटिया पर आ गया ।
अगले दिन राजा ने दयाल का फिर वही फटा हाल देखा तो पूछा - "क्यों, तरबूज खाया नहीं ?"
दयाल ने सारी बात चुपचाप बता दी । राजा को दयाल पर बड़ा क्रोध आया ? पर कर क्या सकता था ।
अगले दिन दयाल ने लोटन को बड़े अच्छे-अच्छे कपड़े पहने बग्घी में जाते देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा । दयाल ने अचानक धनी बनने का राज लोटन से पूछा तो उसने तरबूज का किस्सा बता दिया । सुनकर दयाल हाथ मलकर रह गया । तभी उसने देखा कि किसी राजा की बारात - सी आ रही है । उसने पास जाकर पता किया तो पता लगा कि कोई राजा अपनी दुल्हन को ब्याह कर ला रहा था । ज्यों ही उसने राजा का चेहरा देखा तो उसके हाथों के तोते उड़ गए । उसने देखा, राजसवारी पर टीकम बैठा था । अगले दिन टीकम से मिलने पर उसे पत्र की सच्चाई पता लगी, परंतु अब वह कर ही क्या सकता था ?
राजा ने भी किस्मत के आगे हार मान ली और सोचने लगा - *"ज्योतिषी ने सच ही कहा था"*,( राजा भी गरीब को अमीर नहीं बना सकता, यदि उसकी भाग्य में गरीब रहना लिखा है ।' अब राजा ने ज्योतिषी भद्रशील को बहुत ढ़ुंढ़वाया, पर उनका कही पता नहीं चला!
*।।जय जय श्री राम।।*
*।।हर हर महादेव।।*
कामेंट्स
Bhagat ram Apr 8, 2021
🌹🌹 जय श्री कृष्णा राधे राधे जी 🙏🙏🌺💐🌿🌹 शुभ रात्रि वंदन 🙏🙏🌺💐🌿🌹
laltesh kumar sharma Apr 8, 2021
🍒🌟⭐🍒 jai shree radhe krishan ji 🍒⭐🌟🍒 Subh ratri vandan ji 🍒⭐🌟🍒🙏🙏
Brajesh Sharma Apr 8, 2021
जय जय श्री राधे..जय श्री राधे कृष्णा जी.. ॐ नमःशिवाय.. हर हर महादेव
vineeta tripathi Apr 8, 2021
radhe radhe ji 🌹 good night Bhai ji ☘️☘️
Mamta Chauhan Apr 8, 2021
Radhe radhe ji🌷🙏 shubh ratri vandan bhai ji aapka har pal khushion bhara ho aapki sbhi manokamna puri ho🌷🌷🙏🙏
Jagruti patel Apr 8, 2021
jai shree radhe krishna Good night
Devendra Tiwari Apr 8, 2021
@brajeshsharma1 🙏🌹Jai Shree Radhe Krishna🌹 Subh Ratri Bandan ji 🌹Sweet Dreams 💐💐🙏🙏
meera gupta Apr 8, 2021
jai shree radhe radhe ji
Devendra Tiwari Apr 8, 2021
@meera362 🙏🌹Jai Shree Radhe Krishna🌹 Subh Ratri Bandan ji 🌹Sweet Dreams 💐💐🙏🙏
Shashi K Malik Apr 8, 2021
Good Night Jai Shri Radhe Jai Shri Krishna Radhe Radhe Ji 🙏🙏
Kamlesh Rani Apr 9, 2021
Jai Shree Krishna ji
Kamlesh Rani Apr 9, 2021
Jai Shree Krishna ji
RAJ RATHOD Apr 9, 2021
🙏शुभ प्रभात वंदन 🙏 🚩🚩हे माता..हमारी चाहत हमारी राहत just you, हमारा दिल हमारी जान only for you.🙏🙏जय माता दी 👣👣
🇮🇳🇮🇳GEETA DEVI🇮🇳🇮🇳 Apr 9, 2021
👌👌V. BEAUTIFUL POST BHAIYA JEE 👌👌RADHEY RADHEY 🙏🙏🌹🌹💐💐
babulal Apr 9, 2021
jay shree krishna ji
madan pal 🌷🙏🏼 Apr 9, 2021
जय माता दी शूभ प्रभात वंदन जी माता रानी जी की कृपा आप व आपके परिवार पर बनीं रहे जी 🌹🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏👌🏼👌🏼👌🏼👌🏼
dhruv wadhwani Apr 9, 2021
मां लक्ष्मी सदा सहाय
dhruv wadhwani Apr 9, 2021
मां लक्ष्मी जी की कृपा आप पर और आपके परिवार पर सदैव बनी रहे
VarshaLohar Apr 9, 2021
shubh raatri jai shree krishna.🙏
BK WhatsApp STATUS Apr 12, 2021
जय श्री कृष्ण शुभ प्रभात स्नेह वंदन धन्यवाद 🌹🌹🙏🙏