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*धारावाहिक लेख:- नवदुर्गा, भाग-4*
चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से माॅ दुर्गा भवानी के परम पावन वासंतीय नवरात्रो का आंरभ होता है, इसका आंरभ नौ नवरात्रो से होता है । इन नौ नवरात्रो की क्रमशः नौ देवियाॅ होती है । जो कि क्रम से इस प्रकार है ।
पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघण्टा, चौथी कूष्माडा, पांचवीं स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सातवी कालरात्रि, आठवी महागौरी तथा नवी माता का नाम सिद्धिदात्री है ।
नवरात्रो के द्वितीय दिन "माता कूष्माण्डा देवी" का दिन है ।
*चतुर्थ देवी:- कूष्माण्डा*
मां दुर्गा के चौथे स्वरुप का नाम कूष्माण्डा है । अपनी मंद मंद, हल्की हंसी द्वारा अण्ड अर्थात ब्रह्मंड को उत्पन्न करने के कारण इन्हे कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है । जब सृृष्टि का अस्तित्व नही था, चारो ओर अंधकार ही अंघकार था, तब इन्ही देवी ने अपने ईषत हास्य से ब्रह्मंड की रचना की थी । अतः यही सृष्टि की आदिस्वरुपा आदिशक्ति है । इनके पूर्व ब्रह्मंड का अस्तित्व ही नही था ।
*देवी कूष्माण्डा का निवास तथा तेज*
इनका निवास सूर्यमण्डल के भीतर के लोक में है । देवी, सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं । सूर्यलोक मे निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्ही मे ही है । इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान है । इनके तेज की तुलना भी केवल इन्ही से ही की जा सकती है, अन्य कोई देवी देवता इनके तेज और प्रभाव की बराबरी नही कर सकते । इन्ही के तेज से दसो दिशाएं प्रकाशित हो रही है ।
*मां कुष्मांडा का स्वरूप:-*
देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं अत: इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है. देवी अपने इन हाथों में क्रमश: कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा है. देवी के आठवें हाथ मे सभी सिद्वियां और निघियां को देने वाली कमल फूल के बीज (कमलगट्टे) की जपमाला है ।
इनका वाहन सिंह है । संस्कृत मे कूष्माण्डा कुम्हडे (अन्न की बाली) को कहते है । बलियो मे कुम्हडे की बलि इन्हे अत्यंत प्रिय है ।
*कुण्डलिनी चक्र*
कूष्मांडा के पूजन से अनाहत चक्र जाग्रति की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इनकी उपासना अथवा अनाहत चक्र के जागरण से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं, तथा आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है।
*मां कुष्मांडा का भोग:-*
मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं, तथा प्रसाद को किसी ब्राह्मण को भी खिलाकर खुद भी खाएं. इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी.
*कूष्माण्डा मां मंत्र:-*
1.*सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च ।*
*दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ।।*
2*या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।*
*स्तोत्र पाठ*
*दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।*
*जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥*
*जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
*चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥*
*त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।*
*परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥*
*कवच*
*हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।*
*हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥*
*कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु* *वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।*
*दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥*
*(क्रमशः)*
*लेख के पांचवें भाग में कल पंचम "माता स्कंदमाता देवी" के विषय मे लेख ।*
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*आगामी लेख:-*
*1. 23 अप्रैल को "कामदा" एकादशी पर लेख ।*
*2. 24 अप्रैल को "वैशाख मास" विषय पर लेख ।*
*3. शीघ्र ही हनुमान जयंती पर लेख ।*
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*जय श्री राम*
*आज का पंचांग 🌹🌹🌹*
*शुक्रवार,16.4.2021*
*श्री संवत 2078*
*शक संवत् 1943*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-उत्तर गोल*
*ऋतुः- वसन्त-ग्रीष्म ऋतुः ।*
*मास- चैत्र मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष ।*
*तिथि- चतुर्थी तिथि 6:07 pm तक*
*चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे ।*
*नक्षत्र- रोहिणी 11:40 pm तक*
*योग- सौभाग्य योग 6:22 pm तक (शुभ है)*
*करण- विष्टि करण 6:07 pm तक*
*सूर्योदय 5:55 am, सूर्यास्त 6:47 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:55 am से 12:47 pm*
*राहुकाल - 10:44 am से 12:21 pm* (अशुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।*
*अप्रैल माह -शुभ दिन:-*
शुभ दिन : 16 (6 pm उपरांत), 17, 18, 19, 20 (12 pm उपरांत), 21, 22, 23 (11 am तक), 24, 25, 26 (1 pm तक), 28 (सायंकाल 5 उपरांत), 29 (12 pm तक), 30 (12 pm उपरांत)
*अप्रैल माह-अशुभ दिन:-* 27.
*भद्रा :- 16 अप्रैल 4:47 am to 16 अप्रैल 6:06 pm तक* ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है ।
*यमघण्टक योग :- 16 अप्रैल 5:55 am से 16 अप्रैल 11:40 pm तक* यह एक अशुभ योग हैं, यह कष्टदायक योग है, इसमे विशेष रूप से शुभ कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा तथा बच्चो के शुभ कार्य न करे । परंतु इस कुयोग के साथ ही यदि कोई सर्वार्थ सिद्ध योग जैसा शुभ योग भी हो तो इस योग का दुष्प्रभाव जाता रहता है ।
*रवि योग :- 15 अप्रैल 8:33 pm to 16 अप्रैल 11:40 pm तक* यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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*विशेष:- जो व्यक्ति दिल्ली से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-* 16 अप्रैल:- विनायक चतुर्थी। 21 अप्रैल:- राम नवमी। 22 अप्रैल:- चैत्र नवरात्रि पारण। 23 अप्रैल:- कामदा एकादशी। 24 अप्रैल:- शनि प्रदोष। 26 अप्रैल:- चैत्र पूर्णिमा। 30 अप्रैल:- संकष्टी चतुर्थी
आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
*आचार्य राजेश ( रोहिणी, दिल्ली )*
*9810449333, 7982803848*