#कृष्णजन्माष्टमी
श्रीकृष्णजन्माष्टमी पूजा वैसे तो बनगाँव में सन्त लक्ष्मीनाथ गोस्वामी के पूर्व से ही बनगाँव के सेरसेवे वंश के यहाँ मनाया जाता था, लेकिन जब गोस्वामीजी को इस बात की पता चली तो वे इनलोगो के घर जाकर इस पूजा को ग्रामीण स्तर पर करने को कहा। वैसे तो गोस्वामीजी के बात ही बनगाँव के लिये आदेश समान था, पर उनलोगों को भी ये बात बहुत पसंद आया। तब गोस्वामीजी इस पूजा को उठाकर अपने कुटी पर ले आया।और ग्रामीण से इस पूजा को सम्पन करने की आग्रह किया।जिन्हें ग्रामीणों ने सहर्ष स्वीकार इस पूजा की शुरुआत कर दी। गोस्वामीजी ने इस पूजा में खर्च होने वाली राशि के लिये प्रत्येक घर से कुछ राशि की सहयोग बांध दी जिन्हें पनचित कहा जाता है। एक पैसे की सहयोग राशि आज की तारीख में 25 रुपये पर पहुच चुका है। जिनकी वसूली की भार टोल दर टोल आदमी की नियुक्ति कर दी गयी। आज भी उन्ही के वंसज द्वारा इस पनचित कि वसूली की जाती है जिनका काम गाँव के प्रत्येक घर जाकर इस पनचित को लेना है और इस राशि को पूजा समिति तक पहुचाना है। आज भी इन्ही राशि के बल पर इतने बड़े पूजा का खर्च वहन किया जाता है
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