mandir mata lal devi ji amritsar added this post.
🍁JAI MAA SANTOSHI🍁
जय माता दी 🔱🔱🔱🔱🔱 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩 पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता. 💥💥💥💥💥💥💥 प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता..🚩🔱🚩🔱 🔆🔆🔆🔆🔆🔆🔆
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। यह मां दुर्गा का चौथा स्वरूप हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा ने ही इस सृष्टि की रचना की थी। इसी के चलते इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि शुरुआत में हर ओर अंधेरा व्याप्त था। तब देवी ने ब्रह्मांड की रचना अपनी मंद हंसी से की थी। अष्टभुजा देवी अपने हाथों में धनुष, बाण, कमल-पुष्प, कमंडल, जप माला, चक्र, गदा और अमृत से भरपूर कलश रखती हैं। आइए पढ़ते हैं मां कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र, आरती और व्रत कथा। देवी कूष्मांडा के मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। ध्यान मंत्र: वन्दे वांछित कामर्थेचन्द्रार्घकृतशेखराम्। सिंहरूढाअष्टभुजा कुष्माण्डायशस्वनीम्॥ आज विनायक चतुर्थी पर इस तरह करें गणेश जी की पूजा सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥ देवी कूष्मांडा की आरती: कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिगंला ज्वालामुखी निराली। शाकंबरी मां भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे । भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ सबकी सुनती हो जगदम्बे।
जय माता रानी🙏🏻 शुभ रात्रि आप सभी को जी🙏🌹🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
जय माता दी 🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
भजन के पाॅइण्ट हम जो भी, जितना भजन करते हैं, उसके पाॅइण्ट इकट्ठे होते रहते हैं, जैसे क्रैडिट कार्ड में होते हैं । भजन का फल भजन के स्तर में वृद्धि है फिर भी हम भजन के बल पर कभी अपनी लौकिक कामनाओं की भी पूर्ति चाहते हैं, कामनाऐं पूर्ण होती भी, नहीं भी होती। ये निर्भर करता है कि हमारे कितने पाॅइण्ट इकट्ठे हुए हैं । माना हमारे चार हजार पाॅइण्ट हैं, और कामना तीन हजार की हुयी तो पूरी होगी, पाँच हजार पाॅइण्ट की हुयी तो नहीं होगी। साथ ही यदि कामना पूर्ण हुयी तो तीन हजार पाॅइण्ट कम हो जाऐंगे और भजन वृद्धि रुकी रहेगी। इसलिए कामना हेतु अपने नियमित भजन से अलग भजन कर लेना चाहिये। इससे नियमित भजन से भजन वृद्धि नहीं रुकेगी। वैसे कामना-पूर्ति की बजाय कामना-नाश पर जोर देना चाहिए हमें । समस्त वैष्णव जन को राधा दासी का प्रणाम जय श्री राधे ।। जय निताई