Shubhodaya
Govindraj Jun 1, 2018 @सुरेन्दसिहखीची Radhe Radhe
Yodhan Singh Jun 1, 2018 jai shri Krishna
Govindraj Jun 1, 2018 @ravindrarajpoot jai Shrikrishna
🌹मेरी प्यारी माँ🌹 तुम "हरि" को खोजते हो यही पर गलती करते हो॥ तुम "हरि" में खो जाओ "हरि" तुम्हें खुद खोज लेंगे॥ 🌷ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः🌷 🌹🙏🌹
बड़ी तपिश है अपने गुनाहों की और सोचते है शहर का मौसम ख़ुशगवार नहीं होता, दिन भर करते हैं नफरतें इंसान से और कहते हैं राज़ी "परवरदिगार नहीं होता"
*शुभ दिन रविवार* *फरवरी माह के अंतिम* *शुभ दिन रविवार की* *हार्दिक शुभकामनायें* *ॐ भास्कराय नमः* *ॐ सूर्यदेवाय नमः* *हे सूर्य देव मेरे अपनों* *को यह पैगाम देना* *खुशियों भरा दिन हो* *हंसी की शाम देना* *जब कोई पढ़े प्यार से* *मेरे इस पैगाम को* *तो उसके चेहरे पर* *प्यारी सी मुस्कान देना* *GOOD MORNING* *HAPPY SUNDAY* *HAVE A NICE DAY* 🏵️🌷🦚🙏🦚🌷🏵️
जय श्री सूर्य देव शुभ रविवार सुप्रभात आपका दिन शुभ व मंगल मय 🙏 जय श्री राम 🙏 🌄 आज का पंचांग #Panchang 🌓 🍁 दिनांक 28 फरवरी 2021 🔱 दिन - रविवार 🛕 विक्रम संवत - 2077 🇮🇳 शक संवत - 1942 🌄 अयन - उत्तरायण 🪐 ऋतु - शिशिर 📰 मास - फाल्गुन 🌕 पक्ष - कृष्ण 💮 तिथि - प्रतिपदा 🎆 नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी
🔯🙏 शनिवार विशेष- 27 फरवरी 2021 🙏🔯
जय श्री शनिदेव,🙏 जय बजरंगबली जी🌻🙏 ⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️⚛️ 💥🌄 सुप्रभात वंदन जी🌄🙏 आदरणीय सभी भाई बहनों की सुबह का राम राम जी🙏🌻
RAM RAM JI Good morning everyone
*शुभ दिन रविवार* *जय सूर्यदेव भगवान* हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी ,पहला चरण कैंची और दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी........ तब साइकिल चलाना इतना आसान नहीं था क्योंकि तब घर में साइकिल बस पिताजी चलाया करते थे तब साइकिल की ऊंचाई 24 इंच हुआ करती थी जो खड़े होने पर हमारे कंधे के बराबर आती थी ऐसी साइकिल से गद्दी चलाना संभव नहीं होता था... "कैंची" वो कला होती थी जहां हम साइकिल के फ़्रेम में बने त्रिकोण के बीच घुस कर दोनो पैरों को दोनो पैडल पर रख कर चलाते थे। आज की पीढ़ी इस "एडवेंचर" से मरहूम है उन्हे नहीं पता की आठ दस साल की उमर में 24 इंच की साइकिल चलाना "जहाज" उड़ाने जैसा होता था... हमने ना जाने कितने दफे अपने घुटने और मुंह तोड़वाए हैं और गज़ब की बात ये है कि तब दर्द भी नहीं होता था, गिरने के बाद चारो तरफ देख कर चुपचाप खड़े हो जाते थे अपने हाफ कच्छे को पोंछते हुए। अब तकनीकी ने बहुत विकास कर लिया है पांच साल के होते ही बच्चे साइकिल चलाने लगते हैं वो भी बिना गिरे। दो दो फिट की साइकिल आ गयी है, और अमीरों के बच्चे तो अब सीधे गाड़ी चलाते हैं छोटी छोटी बाइक उपलब्ध हैं बाज़ार में... मगर आज के बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे कि उस छोटी सी उम्र में बड़ी साइकिल पर संतुलन बनाना जीवन की पहली सीख होती थी! "जिम्मेदारियों" की पहली कड़ी होती थी जहां आपको यह जिम्मेदारी दे दी जाती थी कि अब आप गेहूं पिसाने लायक हो गये हैं... इधर से चक्की तक साइकिल लुढकाते हुए जाइए और उधर से कैंची चलाते हुए घर वापस आइए ! इस जिम्मेदारी को निभाने में खुशियां भी बड़ी गजब की होती थी... और ये भी सच है की हमारे बाद "कैंची" प्रथा विलुप्त हो गयी, हम लोग की दुनिया की आखिरी पीढ़ी हैं जिसने साइकिल चलाना तीन चरणों में सीखा ! पहला चरण कैंची दूसरा चरण डंडा तीसरा चरण गद्दी (फिर बादशाहों वाली फीलिंग्स) 🌷💐🌼🙏🌼💐🌷
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Govindraj Jun 1, 2018
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Yodhan Singh Jun 1, 2018
jai shri Krishna
Govindraj Jun 1, 2018
@ravindrarajpoot jai Shrikrishna